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हरियाणा में नया कानून लागू: खून के रिश्तों में भी होगी साझी जमीन का बंटवारा, 15 लाख किसानों को राहत

हरियाणा में नया कानून लागू: खून के रिश्तों में भी होगी साझी जमीन का बंटवारा, 15 लाख किसानों को राहत

हरियाणा भू-राजस्व संशोधन कानून: हरियाणा विधानसभा ने गुरुवार को हरियाणा भू-राजस्व (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया, जिससे अब पति-पत्नी को छोड़कर खून के रिश्तों में भी साझी जमीन का बंटवारा किया जा सकेगा। इस नए कानून से प्रदेश के 14 से 15 लाख किसानों को सीधा लाभ मिलेगा, जो लंबे समय से साझा भूमि विवादों का सामना कर रहे थे।

संशोधन से क्या बदलेगा?

पहले के कानून में संयुक्त मालिकों के बीच जमीन के बंटवारे का प्रावधान था, लेकिन रक्त संबंधियों (जैसे भाई-भाई या पिता-पुत्र) को इसमें शामिल नहीं किया गया था। इस कारण ऐसे मामलों में मुकदमेबाजी बढ़ रही थी। अब नए संशोधन के तहत, पति-पत्नी को छोड़कर सभी खून के रिश्तेदार इस कानून के दायरे में आएंगे

कानून से कितने किसानों को लाभ?

हरियाणा के करीब 14 से 15 लाख किसान इस नए कानून से लाभान्वित होंगे। वर्तमान में साझा भूमि विवादों को लेकर सहायक कलेक्टर और तहसीलदार की अदालतों में 1 लाख से अधिक केस लंबित हैं। इस संशोधन के बाद, इन मामलों के जल्द निपटारे की संभावना है।

कैसे होगा जमीन का बंटवारा?

  • सभी संयुक्त भू-मालिकों को नोटिस जारी होने की तारीख से 6 महीने के भीतर आपसी सहमति से बंटवारे का करार पेश करना होगा
  • यदि इस अवधि में सहमति नहीं बनती है, तो राजस्व अधिकारी अतिरिक्त 6 महीने का समय दे सकते हैं।
  • अगर इस दौरान भी सहमति नहीं बनती, तो सहायक कलेक्टर और तहसीलदार की अदालतें 6 महीने के भीतर जमीन का बंटवारा सुनिश्चित करेंगी
  • संशोधित अधिनियम की धारा 111-क (3) के तहत भूमि के विभाजन का इंतकाल धारा 123 के अंतर्गत किया जाएगा

क्यों जरूरी था यह कानून?

हरियाणा भू-राजस्व संशोधन कानून: पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार में संयुक्त मालिकों में साझी जमीन के बंटवारे के लिए धारा 111-क जोड़ी गई थी, लेकिन रक्त संबंधियों को इससे अलग रखा गया था। इस कारण भाइयों और अन्य रिश्तेदारों में भी मुकदमेबाजी बढ़ गई थी। अब नए संशोधन से इन विवादों को सुलझाने का रास्ता खुल गया है।

हरियाणा में इस नए कानून के लागू होने से किसानों को जमीन विवाद से राहत मिलेगी और न्यायिक प्रक्रियाओं का बोझ भी कम होगा। सरकार का मानना है कि इस फैसले से राज्य में भू-राजस्व मामलों की पारदर्शिता बढ़ेगी और किसानों को उनका हक आसानी से मिल सकेगा

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