Bareilly Violence Case: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में आई लव मोहम्मद को लेकर हुए विवाद की चिंगारी अब अन्य राज्यों में भी देखने को मिल रही है। आलग ये हो गया कि बीते शुक्रवार को पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के बीच जुमे की नमाज अदा कराई ताकि कहीं पर किसी भी तरह का विवाद न हो। इस बीच यूपी पुलिस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अल्टीमेटम के बाद दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करती नजर आ रही है। ताजा मामला मौलाना तौकीर रजा की उन 74 दुकानों से जुड़ा है जो उसने मजार की आड़ में बना रखी थी। जिसका पता चलते ही योगी सरकार का हंटर चला और प्रशासन ने दुकानों पर ताले डाल सील लगा दी।
दुकानों का किराया खा रहा था तौकीर
Bareilly Violence Case: आपको बता दें कि जिस मौलाना तौकीर रजा के कहने पर मुसलमान आई लव मोहम्मद के पोस्ट लेकर सड़कों पर उतर आए वहीं मौलाना मुसलमानों के हित का ढोंग कर मजार की आड़ में 74 दुकानें बनवाकर उनका किराया खा रहा था। जिसका पता चलते ही नगर निगम की टीम ने बीते दिन सोमवार को इन दुकानों और तौकीर के संगठन इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल (आइएमसी) का कार्यालय सील कर दिया। प्रशासन का इस कार्रवाई से भी पेट नहीं भरा तो बरेली विकास प्राधिकरण की टीम ने मौलाना के करीबियों की छह संपत्तियां चिह्नित कर सीलिंग की कार्रवाई कर दी।
तौकीर के गुर्गों की तलाश में पुलिस
Bareilly Violence Case: गौरतलब है कि कानपुर जिले में आई लव मोहम्मद के पोस्टरों को लेकर हुए विवाद की आड़ में आइएमसी अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने शुक्रवार को बरेली में उपद्रव कराया था। जिसके उकसावे पर आई भीड़ ने पथराव, फायरिंग कर 22 पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया था। फिलहाल, इस मामले में मौलाना तौकीर सहित 61 आरोपितों को जेल व छह को थाने से जमानत मिल चुकी है। लेकिन प्रशासन तौकीर व उसके गुर्गों की संपत्तियों की जांच कर उनके खिलाफ कार्रवाई करना का रोड मैप बना रही है।
मामले में अधिकारी क्या कहते है ?
Bareilly Violence Case: अगर इस पूरे मामले को लेकर अधिकारियों की मानें तो, 1992 में नॉवल्टी चौराहा (मुख्य बाजार) पर पहलवान साहब की मजार की देखरेख करने वाले व्यक्ति को तौकीर के लोगों ने साजिशन हटाकर अपना करीबी बैठा दिया और मजार की आड़ में दुकानें बनवाई जाने लगीं, जिसे अब तीन मंजिल बाजार के रुप में जाना जाता हैं। तौकीर तो। पर्दे के पीछे रहता, जबकि उसका करीबी नफीस दुकानों से किराया वसूलकर उसे पहुंचाता था। कुछ दुकानों की बिना कागज बिक्री भी कर दी गई थी। हांलाकि इसको लेकर साल 1995 में नगर निगम ने नोटिस जारी कर बताया कि उसकी भूमि पर अवैध दुकानें व मजार बनी है। नोटिस के जरिए दुकानदारों को चेतावनी दी गई कि वह अपना कब्जा हटाने अन्यथा ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। लेकिन इस बार बरेली में हुए विवाद के बाद सोमवार दोपहर 12 बजे नगर निगम की टीम ने दुकानदारों से कहा कि तीन घंटे के अंदर सामान हटा लें। जिसके बाद दोपहर तीन बजे भारी फोर्स की मौजूदगी में 74 दुकानों पर सील लगाकर नगर निगम ने अपना कब्जा ले लिया।
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