संघ के 100 साल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। एक ओर संगठन इस ऐतिहासिक मौके को ‘शताब्दी उत्सव’ के रूप में मना रहा है, तो दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में इसकी भूमिका और इतिहास को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। खासकर विपक्षी दलों की ओर से संघ के अतीत और विचारधारा पर गंभीर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
AAP सांसद ने वीडियो के जरिए कर जताई आपत्ति
संघ के 100 साल: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस मौके पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने आरएसएस से कुछ “कठिन और असहज सवाल” पूछे। उन्होंने कहा कि 100 वर्षों में क्या कभी कोई दलित, पिछड़ा या आदिवासी आरएसएस का सरसंघचालक बना? स्वतंत्रता संग्राम के दौरान संघ की भूमिका कहां थी? क्या वाकई तिरंगे का विरोध किया गया था और 52 वर्षों तक नागपुर मुख्यालय पर तिरंगा क्यों नहीं फहराया गया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरएसएस के संस्थापकों ने मुस्लिम लीग के साथ समझौते किए थे और क्रांतिकारियों की गतिविधियों की जानकारी ब्रिटिश हुकूमत को दी थी।
100 वर्ष पूरे होने पर RSS से कुछ तीखे , कड़वे और सच्चे सवाल।
100 सालों में 1 भी RSS प्रमुख दलित, पिछड़ा, आदिवासी क्यों नहीं बना ?
जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ मिलकर तुम्हारे आकाओं ने सरकार क्यों बनाई ?
आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारियों की मुखबिरी क्यों की ?
संघ के लोगों को… pic.twitter.com/OMvwM0ZeYA
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) October 1, 2025
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने भी साधा निशाना
संघ के 100 साल: वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने संघ की आलोचना करते हुए एक पोस्ट साझा की। उन्होंने कहा कि दिल्ली के स्कूलों में आरएसएस को शिक्षा का हिस्सा बनाना चिंताजनक है। अगर आरएसएस की भूमिका इतिहास में जोड़ने की बात हो रही है, तो क्या 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उसकी अनुपस्थिति का जिक्र भी होगा? क्या गांधी जी की हत्या के बाद उस पर लगे प्रतिबंध की बात होगी? टैगोर ने आगे लिखा कि यह शिक्षा नहीं, एकतरफा प्रचार है। उन्होंने आशंका जताई कि इतिहास को संघ दृष्टिकोण से पेश किया जा रहा है, जो देश की लोकतांत्रिक परंपरा और संविधान के मूल्यों के विपरीत है।
So now Delhi schools will teach RSS as part of the curriculum? 🤔
What’s next — lessons on Nathuram Godse as a “patriot”?
RSS wants to rewrite history because it has none.
– Absent in the 1942 Quit India movement.
– Absent in the struggle against the British.
– But present when…— Manickam Tagore .B🇮🇳மாணிக்கம் தாகூர்.ப (@manickamtagore) October 1, 2025
संघ की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं
संघ के 100 साल: RSS की ओर से इन आरोपों पर फिलहाल कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, संघ के समर्थक इसे विपक्ष की राजनीतिक रणनीति बता रहे हैं, जो आगामी चुनावों से पहले संघ और उसकी विचारधारा को निशाना बना रही है।