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ST Hasan on Azam Khan: हसन-आजम खान फिर बनेंगे भाई जान? मुरादाबाद की सियासत ने दिए मेल-मुलाक़ात की आहट के संदेश

ST Hasan on Azam Khan

ST Hasan on Azam Khan: उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद से ही सपा नेता आजम खान से नेताओं का मिलना जुलना लगा हुआ है। हाल ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने रामपुर पहुंचकर आजम खान से मुलाकात की तो अब सपा पार्टी के अन्य नेता भी आजम से मिलने की इच्छा जाहिर करने लगे है। इस कड़ी में पहला नाम जुड़ा है एक जमाने में आजम खान के करीबी रहे और अब उनसे नाराज बताए जाने वाले मुरादाबाद के पूर्व सांसद एसटी हसन का। सपा मुखिया की मुलाकात के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि अब तो एसटी हसन की नाराजगी दूर हो गई है। क्योंकि अब हसन को भी ये बोले सुना जा रहा है कि वो तो आजम खान के शिष्य हैं और उनसे बहुत मोहब्बत करते हैं।

कम होती दिख रही खान-हसन की दूरी

ST Hasan on Azam Khan: गौरतलब है कि सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद आज़म खान के कुछ बयानों ने साफ कर दिया था कि एसटी हसन से उनके रिश्तों में दरार है। उस वक्त एसटी हसन की ओर से भी आजम खान को लेकर तीखे सुर सुनाई दिए गए थे। माना गया कि यह खटास 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान और बढ़ गई, जब समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद से एसटी हसन का टिकट काटकर रूचि वीरा को उम्मीदवार बनाया। सियासी गलियारों में चर्चा थी कि यह फैसला आज़म खान के दबाव में लिया गया, जिससे एसटी हसन नाराज़ हो गए। लेकिन समय के साथ-साथ अब ये तस्वीर बदलती दिख रही है। हाल ही में जब एसटी हसन से उनके और आज़म खान के रिश्तों को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने खुले दिल से जवाब देते हुए कहा कि अगर आज़म साहब बुलाएंगे, तो वह ज़रूर उनसे मिलने जाएंगे। उन्होंने आज़म खान को न सिर्फ़ अपना सीनियर बताया, बल्कि यह भी स्वीकार किया कि 2019 में उन्हें लोकसभा का टिकट दिलवाने में आज़म खान की बड़ी भूमिका रही थी।

आगे एसटी हसन ने यह भी कहा कि टिकट कटने पर दुख ज़रूर हुआ, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि कोई निजी नाराज़गी थी। उनका कहना है कि राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, और उन्होंने कभी भी अपने सीनियर नेताओं के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं रखी। आज़म खान का समाजवादी पार्टी की नींव में जो योगदान रहा है, वह अतुलनीय है और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव भी उन्हें पिता तुल्य मानते हैं। फिलहाल, एसटी हसन के इस बयान की यूपी की सियासत में जमकर चर्चा हो रही है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि समाजवादी पार्टी के भीतर जो भी मतभेद की चर्चाएं थीं, वे अब धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। जो आगामी चुनाव में पार्टी को एक मजबूती प्रदान करेगा।

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