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फर्जी पासपोर्ट रैकेट के आरोपी बिप्लब पर छापेमारी

ED NEWS : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को उस रैकेट पर शिकंजा कसते हुए छापेमारी की, जो पाकिस्तानी नागरिकों और बांग्लादेशी प्रवासियों को फर्जी भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट उपलब्ध कराने में शामिल था। यह छापेमारी संदिग्ध बिप्लब सरकार से जुड़े ठिकानों पर की गई, जिसका नाम पहले से गिरफ्तार किए गए बिचौलिये इंदुभूषण हलदर की पूछताछ के दौरान सामने आया था।

ईडी की पांच दिन की हिरासत में भेजा

ईडी अधिकारियों के अनुसार, इंदुभूषण हलदर उर्फ दुलाल को 13 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। उसकी गिरफ्तारी पाकिस्तानी नागरिक आज़ाद हुसैन उर्फ आज़ाद मलिक को फर्जी भारतीय पासपोर्ट दिलाने के मामले में हुई थी। हलदर को विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे ईडी की पांच दिन की हिरासत में भेजा गया। पूछताछ में उसने यह स्वीकार किया कि उसने कई विदेशी नागरिकों के लिए अवैध रूप से भारतीय पहचान पत्र बनवाने का काम किया और इस दौरान कई लोगों, जिनमें बिप्लब सरकार भी शामिल है, से संपर्क में रहा।

फर्जी पहचान बनवाने का संगठित नेटवर्क

ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह विदेशियों से पैसे लेकर उन्हें भारतीय पहचान — जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट — दिलाने का धंधा करता था। जांच में यह भी सामने आया कि पाकिस्तानी नागरिक आज़ाद हुसैन भारत में “आज़ाद मलिक” नाम से रह रहा था और बांग्लादेश से आने वाले प्रवासियों को फर्जी दस्तावेज़ उपलब्ध कराने में मदद करता था।

250 से अधिक फर्जी पासपोर्ट जारी कराने का आरोप

ED NEWS : इंदुभूषण हलदर पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के चकदाह का निवासी है। वह बांग्लादेशी नागरिकों के पासपोर्ट आवेदन के लिए जाली दस्तावेज़ तैयार करता था और उन्हें पैसे लेकर भारतीय पहचान प्रदान कराता था। ईडी के अनुसार, हलदर अब तक लगभग 250 मामलों में फर्जी पासपोर्ट जारी कराने में शामिल रहा है। उसने इन अवैध गतिविधियों से लाखों रुपये कमाए।

ईडी ने दायर किया आरोपपत्र, जांच जारी

ED NEWS : हलदर की अग्रिम जमानत याचिका अदालत पहले ही खारिज कर चुकी है। ईडी ने 13 जून को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 44 और 45 के तहत आरोपपत्र दायर किया था। वर्तमान छापेमारी का मकसद नए सबूत इकट्ठा करना और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य आरोपियों की भूमिका की पुष्टि करना है। ईडी की यह कार्रवाई विदेशी नागरिकों को फर्जी पहचान दिलाने वाले अंतरराज्यीय नेटवर्क के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।

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