फिल्म इंडस्ट्री से एक और दर्दनाक खबर आई है। मशहूर गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित अब इस दुनिया में नहीं रहीं। गुरुवार शाम करीब 7 बजे मुंबई के नानावटी अस्पताल में उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से लगातार बीमार चल रही थीं। परिवार ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार दोपहर 1 बजे विले पारले के पवन हंस श्मशान घाट में किया जाएगा।
सुलक्षणा के भाई और मशहूर संगीतकार ललित पंडित ने बताया कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। जब तक परिवार उन्हें अस्पताल ले जा पाता, रास्ते में ही उनका दिल धड़कना बंद कर चुका था। ललित ने कहा कि वो लंबे समय से ठीक नहीं थीं, लेकिन हमें उम्मीद थी कि इस बार ठीक हो जाएंगी… पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
बचपन से ही संगीत में डूबी थीं सुलक्षणा
सुलक्षणा का जन्म 12 जुलाई 1954 को हुआ था। संगीत उनके खून में था। उनके चाचा पंडित जसराज हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के बड़े नाम थे। ऐसे में केवल 9 साल की उम्र में उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। 1967 में फिल्म ‘तकदीर’ के लिए उन्होंने लता मंगेशकर के साथ ‘सात समुंदर पार से’ गाना गाया, जो आज भी याद किया जाता है। बाद में उन्होंने किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, येशुदास, उदित नारायण जैसे बड़े गायकों के साथ डुएट गाए। 1975 में फिल्म ‘संकल्प’ के गाने ‘तू ही सागर है तू ही किनारा’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला।
उनका एल्बम ‘जज़्बात’ 1980 में रिलीज़ हुआ था, जिसमें उन्होंने ग़ज़लें गाईं। 1986 में लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। आखिरी बार उनकी आवाज 1996 की फिल्म ‘खामोशी’ में सुनाई दी।
अभिनय में भी छोड़ी छाप
1975 में उन्होंने ‘उलझन’ फिल्म से एक्टिंग की शुरुआत की और जल्द ही वह उस दौर की मशहूर हीरोइनों में गिनी जाने लगीं। उन्होंने राजेश खन्ना, विनोद खन्ना, संजीव कुमार, शशि कपूर और जीतेन्द्र जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया। उनकी यादगार फिल्मों में ‘अमीरी गरीबी’, ‘खानदान’, ‘वक्त की दीवार’, ‘उलझन’, ‘अपनापन’ और ‘चेहरे पे चेहरा’ शामिल हैं।
अधूरा प्यार और अकेलापन
सुलक्षणा की जिंदगी फिल्मों जितनी ही भावनाओं से भरी थी। कहा जाता है कि वे संजीव कुमार से बेहद प्यार करती थीं। फिल्म ‘उलझन’ के दौरान उन्होंने उनसे शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन संजीव ने इंकार कर दिया, क्योंकि उनका दिल हेमा मालिनी के लिए धड़कता था। संजीव का इंकार सुलक्षणा को तोड़ गया। उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपनी बाकी ज़िंदगी अकेलेपन में गुज़ार दी। बाद के सालों में उनकी तबीयत और आर्थिक हालत दोनों बिगड़ती चली गईं। वो अपनी बहन विजयता पंडित के साथ ही रहती थीं। संयोग देखिए कि संजीव कुमार का निधन भी 6 नवंबर को ही हुआ था और ठीक 40 साल बाद उसी तारीख को सुलक्षणा भी चली गईं।
फैंस दे रहे श्रद्धांजलि
उनके निधन की खबर के बाद सोशल मीडिया पर फैंस और सेलेब्रिटीज़ ने दुख जताया। लोग कह रहे हैं कि एक और सुनहरी आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। गूगल पर उनका नाम ट्रेंड कर रहा है और लोग उनकी पुरानी धुनें याद कर रहे हैं।
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