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RAHUL GANDHI: ‘इंडियन स्टेट’ बयान मामले में राहुल गांधी को राहत, क्या था मामला ? जानिए

RAHUL GANDHI

RAHUL GANDHI: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को ‘इंडियन स्टेट’ बयान मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ हिंदू रक्षा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिमरन गुप्ता द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत के इस फैसले से राहुल गांधी को फिलहाल कानूनी तौर पर राहत मिल गई है।

हमारी लड़ाई इंडियन स्टेट से है

RAHUL GANDHI: यह मामला करीब दस महीनों से कोर्ट में विचाराधीन था। दरअसल, 23 जनवरी 2025 को सिमरन गुप्ता ने एमपी-एमएलए कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने 15 जनवरी 2025 को एक कार्यक्रम में कहा था कि “हमारी लड़ाई भाजपा या आरएसएस से नहीं, बल्कि इंडियन स्टेट से है।” याचिकाकर्ता का कहना था कि इस बयान से देश की जनता की भावनाएं आहत हुई हैं और यह देशद्रोह से जुड़ा मामला है।

RAHUL GANDHI: सिमरन गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि राहुल गांधी का यह बयान देश के लोकतांत्रिक ढांचे और सरकारी संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि इस बयान को गंभीरता से लेते हुए कांग्रेस सांसद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

राहुल गांधी के बयान में कोई प्रत्यक्ष तत्व नहीं है

RAHUL GANDHI: इस मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बहस हुई। 28 अक्टूबर को बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि राहुल गांधी के बयान में ऐसा कोई प्रत्यक्ष तत्व नहीं है जिससे देशद्रोह या जनभावनाओं को भड़काने का आरोप साबित हो सके।

फैसले को चुनौती देने का ऐलान

RAHUL GANDHI: कोर्ट के इस फैसले से राहुल गांधी को फिलहाल राहत मिली है। इसका अर्थ यह है कि इस मामले में उनके खिलाफ अब कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी। हालांकि, याचिकाकर्ता सिमरन गुप्ता ने कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि “यह लड़ाई यहीं खत्म नहीं होगी। हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।”

कांग्रेस खेमे में राहत

RAHUL GANDHI: गौरतलब है कि राहुल गांधी के बयान ने उस समय राजनीतिक हलचल मचा दी थी। विरोधी दलों ने इसे सरकारी संस्थाओं पर हमला बताया था, जबकि कांग्रेस ने इसे लोकतांत्रिक अधिकार के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा कहा था। अब अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस खेमे में राहत की भावना देखी जा रही है।

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