MBBS Admission: राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के आधार पर देशभर में MBBS दाखिले की प्रक्रिया लगभग पूरी होने को है। इसी बीच श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस (SMVDIME) ने MBBS प्रवेश की अपनी पहली मेरिट सूची जारी की है। जिसके बाद से ही हंगामा शुरू हो गया है। जबकि कुछ लोग तो इसे हिंदुओं के साथ एक धोखा बता रहे है। दरअसल, संस्थान में कुल 50 MBBS सीटें हैं, जिनमें से 42 सीटें मुस्लिम छात्रों को आवंटित की गई हैं। जबकि 7 हिंदू और 1 सिख छात्र के लिए। SMVD मेडिकल कॉलेज का नाम माता वैष्णो देवी से जुड़ा होने के कारण, इस सूची को लेकर भारतीय जनता पार्टी और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाने शुरु कर दिए हैं। उनका कहना है कि वैष्णो देवी के नाम पर चलने वाले संस्थान में इतनी बड़ी संख्या में एक ही समुदाय के छात्रों का चयन कैसे हुआ? इसकी जांच होनी चाहिए।
पहले जानें क्या है मामला?
आपको बता दें कि SMVD मेडिकल कॉलेज में MBBS की कुल 50 सीटें हैं। कॉलेज में पहली बार MBBS की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। MBBS की 50 सीटों में से 42 सीटों पर मुस्लिम छात्रों को आवंटित की गई हैं। जबकि 7 सीटें हिंदू और एक सीट सिख छात्र को दी गई है। इस सूची के जारी होते ही इसको लेकर राज्य में विवाद होना शुरू हो गया। बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. परनीश महाजन सहित राज्य बजरंग दल ने दाखिला सूची में भेदभाव का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है।
Jammu, Jammu and Kashmir: Jammu Rashtriya Bajrang Dal President Rakesh Bajrangi said that the new Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board medical college allotted 42 seats to Muslims, 7 to Hindus, and 1 to Sikhs, calling it discriminatory. He urged Lt Governor Manoj Sinha to act… pic.twitter.com/t0AVzlbTbQ
— IANS (@ians_india) November 5, 2025
MBBS Admission: श्राइन बोर्ड के फंड से बना वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज
दरअसल, श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस (SMVDIME) का संचालन श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा किया जाता है। यह वही बोर्ड है जो माता वैष्णो देवी मंदिर की व्यवस्थाओं और विकास कार्यों को देखता है। बताया जा रहा है कि इस मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए श्राइन बोर्ड ने करीब 500 करोड़ रुपये की दान राशि उपलब्ध कराई थी। इसको लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. परनीश महाजन का कहना है कि मेडिकल कॉलेज को श्राइन बोर्ड फंड देता है, जो एक हिंदू संगठन है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज की 50 सीटों में 42 सीटें मुस्लिम छात्रों को आंवटित करना हिंदूओं का अपमान है। उन्होंने कहा है कि इससे स्वाभाविक रूप से श्रद्धालुओं और आम जनता के बीच सवाल खड़े होंगे। हालांकि उन्होंने बाद में ये भी कहा कि योग्यता पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन प्रक्रिया में निष्पक्षता, संतुलन होना चाहिए।
मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के क्या है नियम?
देशभर के सभी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) के ज़रिए होता है। इस परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) करती है और इसका स्कोर एक साल के लिए मान्य होता है। NEET के बाद मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) काउंसलिंग आयोजित करती है, जिसमें दो प्रकार के कोटे होते हैं… 15% All India Quota (AIQ) और 85% State Quota. राज्य सरकार अपने मेडिकल कॉलेजों की 85 प्रतिशत सीटों पर स्थानीय छात्रों को दाखिला देती है। इन सीटों पर जाति आधारित संवैधानिक आरक्षण (SC, ST, OBC, EWS, PWD) लागू रहता है, लेकिन धर्म आधारित कोई आरक्षण नहीं होता। बता दें कि SMVD मेडिकल कॉलेज भी राज्य सरकार के अधीन मेडिकल कॉलेजों की तरह जम्मू-कश्मीर काउंसलिंग बोर्ड की प्रक्रिया के तहत स्टेट कोटे की सीटों पर दाखिला देता है। मतलब ये कि कॉलेज को धर्म या जाति के आधार पर सीटें आवंटित करने का अधिकार नहीं है।
बताते चले कि जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले स्थित कटरा में SMVD मेडिकल कॉलेज सरकारी मेडिकल कॉलेज है, लेकिन इसका संचालन श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के जरिए किया जाता है। जिसमें शैक्षणिक सत्र 2025-26 से MBBS पाठ्यक्रम शुरू हुआ है।
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