BIHAR ELECTION: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की 202 सीटों की भारी जीत में सबसे निर्णायक भूमिका महिलाओं ने निभाई। चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार द्वारा 1.40 करोड़ महिलाओं के खातों में भेजे गए ₹10,000 ने वोटिंग पैटर्न को उल्लेखनीय रूप से प्रभावित किया, जिससे एनडीए को अप्रत्याशित बढ़त मिली।
महिलाओं ने रिकॉर्ड मतदान किया
BIHAR ELECTION: राज्य में महिलाओं ने 70–71% तक मतदान कर सभी पिछली सीमाओं को पार कर दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, सीधे आर्थिक सहायता और पिछली योजनाओं की डिलीवरी को महिलाओं ने भरोसे के संकेत के रूप में लिया। यह प्रभाव सबसे अधिक ग्रामीण सीटों पर देखने को मिला, जहां जदयू की सीटों में इस चुनाव में उल्लेखनीय बढ़त दर्ज हुई।

₹10,000 की सहयता ने बनाया भरोसे का माहौल
BIHAR ELECTION: राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह सहायता सिर्फ “आर्थिक राहत” नहीं थी, बल्कि सरकार की “प्रत्यक्ष डिलीवरी क्षमता” का भरोसा भी मजबूत करती है। चुनाव के कुछ हफ़्ते पहले यह राशि मिलना महिलाओं के लिए तत्काल राहत और राजनीतिक विश्वास दोनों की तरह काम किया।
महागठबंधन की रणनीति नही पहुँची
BIHAR ELECTION: विपक्ष की ओर से बेरोज़गारी, महंगाई, कास्ट कैलकुलेशन और वोटिंग अनियमितताओं जैसे मुद्दे उठाए गए, लेकिन महिलाएँ इससे खास प्रभावित नहीं हुईं। विश्लेषकों के अनुसार- महागठबंधन ने महिलाओं के लिए कोई ठोस एजेंडा पेश नहीं कर पाई । तेजस्वी–राहुल की “वोट चोरी” थीम पकड़ नहीं सकी ,बीजेपी–जदयू की संयुक्त विश्वसनीयता भारी पड़ी ।
नीतीश–मोदी की जोड़ी ने बदला खेल
BIHAR ELECTION: नीतीश कुमार की महिला-हितैषी छवि और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मजबूत नेतृत्व छवि ने मिलकर महिला मतदाताओं में एनडीए को प्राथमिक चुनावी विकल्प बनाया। “वेलफेयर + गवर्नेंस” मॉडल इस चुनाव में स्पष्ट रूप से सफल साबित हुआ। जदयू की सीटें दोगुनी के करीब, संकेत साफ महिला वोट एनडीए के साथ , पिछली बार 43 सीटें जीतने वाली जदयू इस बार लगभग दोगुनी सीटों तक पहुँची। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बढ़त सीधे तौर पर महिला वोट में आए बदलाव को दर्शाती है।
महिला वोट बना निर्णायक
BIHAR ELECTION: चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि इस बार का जनादेश बताता है कि बिहार की राजनीति में “महिला वोट + कल्याणकारी योजनाएँ + विश्वसनीय नेतृत्व” आज सबसे निर्णायक चुनावी फॉर्मूला बन गया है। बिहार की महिला मतदाता इस चुनाव में सिर्फ वोटर नहीं, बल्कि चुनाव की दिशा तय करने वाली शक्ति बनकर उभरी हैं।







