Bageshwar Baba Padyatra: बागेश्वर धाम के पिताजी ईश्वर धीरेंद्र शास्त्री नेदिल्ली से10 दिवसीय सनातन यात्रा की शुरुआत की थी आज 16 नवंबर को इस यात्रा काअंतिम दिन है। इसी के साथ वृंदावन में इसका भव्य समापन हुआ। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी इस यात्रा में शामिल हुए। यही नहीं यात्रा में सहभागिता के साथ – साथ उन्होंने सभी श्रद्धालुओं के साथ सड़कर पर बैठकर भोजन भी किया ।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जी आज कृष्ण वंशज मानने वाले बाबा बागेश्वर की पदयात्रा में शामिल हुए… और जो तस्वीर सामने आई, उसने पूरे प्रदेश का दिल जीत लिया!
🚩 बाबा जब सड़क पर पैदल यात्रा करते हैं, तो भोजन भी सड़क पर बैठकर ही करते हैं…
मोहन यादव जी बागेश्वर जी के साथ कुछ… pic.twitter.com/3Trnh4i1cg— Khabar India ख़बर इंडिया (@_KhabarIndia) November 16, 2025
Bageshwar Baba Padyatra: CM मोहन यादव ने सड़क पर बैठकर अपनाई बाबा की परंपरा
आज योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की पावन भूमि वृंदावन पहुंचकर 'बागेश्वर धाम' के पीठाधीश्वर, पूज्य पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी द्वारा आयोजित 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' में सम्मिलित हुआ। इस अवसर पर समरसता भोज का प्रसाद भी ग्रहण किया।
दिल्ली से चलकर वृंदावन पहुंची यह यात्रा… pic.twitter.com/gcfhzmb09o
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बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री पदयात्रा के दौरान सड़क पर ही सोते है और भोजन सड़क पर बैठकर ही करते हैं। इसी परंपरा को अपनाते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी उनके साथ सड़क पर बैठकर भोजन किया। जिसके बाद इसका वीडियो सोशल मीडिया पे वायरल हो रहा है। लोगों के लिए यह दृश्य जमीन से जुड़े नेतृत्व का उदाहरण पेश करता है।
दिल्ली से वृंदावन तक, सनातन संस्कृति की एकता का संदेश
भगवान गोपाल कृष्ण भी मुस्कुराएंगे…
'बागेश्वर धाम' के पीठाधीश्वर, पूज्य पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी की 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
सामाजिक समरसता का भाव बहुत जरूरी है। pic.twitter.com/192VSwGDSp
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Bageshwar Baba Padyatra: मीडिया से बात करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहां कि “यह ब्रज का धाम है, श्री कृष्ण की भुमी है, यहाँ कण कण में भगवान है और भगवान का देवस्थान है। क्या सड़क, क्या मकान, सब कुछ महान।” साथ ही उनका मानना है कि यह पदयात्रा संस्कृति, परंपरा और विरासत के संरक्षण का संदेश देती है। राजधानी दिल्ली से प्रारंभ होकर वृंदावन तक पहुंची यह यात्रा सनातन संस्कृति की एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है।







