PM MODI: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया रामनाथ गोयनका व्याख्यान पर संतुलित प्रतिक्रिया दी है। थरूर ने एक ओर पीएम के आर्थिक विज़न और औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति की अपील की सराहना की, तो दूसरी ओर भारतीय भाषाओं और अंग्रेज़ी पर दिए गए संदेश पर अपना अलग दृष्टिकोण भी रखा।
पीएम के बयान की प्रशंसा -थरूर
थरूर ने एक्स पर लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी का भाषण “भारत की आर्थिक ऊर्जा और सांस्कृतिक आत्मविश्वास” को एक साथ सामने रखने वाला था। उन्होंने कहा कि पीएम ने भारत को “उभरता हुआ मॉडल” बताकर वैश्विक मंच पर देश की भूमिका को नए संदर्भ में प्रस्तुत किया। उन्होंने पीएम के ‘भावनात्मक मोड’ वाले बयान की भी प्रशंसा की, जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि वे चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि जनता की समस्याओं के समाधान की चिंता से प्रेरित रहते हैं।
PM MODI: मैकाले की ‘गुलामी मानसिकता’ को पलटने

हालांकि, थरूर ने अंग्रेज़ी और भारतीय भाषाओं पर प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि काश पीएम यह भी स्वीकार करते कि अंग्रेज़ी ने भारतीय राष्ट्रवाद की आवाज़ को मजबूत करने में बड़ा योगदान दिया है और रामनाथ गोयनका जैसे संपादकों ने इसी भाषा का उपयोग कर सत्ता को चुनौती दी थी।थरूर ने इस बात का भी उल्लेख किया कि पीएम ने मैकाले की ‘गुलामी मानसिकता’ को पलटने के लिए 10 साल के राष्ट्रीय मिशन की जो अपील की है, वह स्वागत योग्य है। लेकिन भाषाई गर्व के साथ-साथ भाषाई विविधता और अंग्रेज़ी की उपयोगिता को भी स्वीकार किया जाना चाहिए।
PM MODI: शिक्षा मॉडल और आर्थिक दिशा के जरुरी
थरूर ने कहा कि बीमारी के बावजूद वह व्याख्यान में शामिल हुए क्योंकि यह बहस भारत के भविष्य, शिक्षा मॉडल और आर्थिक दिशा के लिए अत्यंत आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने भाषण में भारतीय भाषाओं, विरासत और ज्ञान परंपरा को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए अंग्रेज़ी को “विरोध का विषय नहीं बल्कि संतुलन का प्रश्न” बताया था।
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