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LAND POOL KANOON: मोहन यादव का बड़ा फैसला, लैंड पूलिंग कानून वापस, किसानों में खुशी की लहर

LAND POOL KANOON:

LAND POOL KANOON: भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर बड़ा कदम उठाते हुए लैंड पूलिंग कानून वापस ले लिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसकी आधिकारिक घोषणा की। यह वह निर्णय है जिसका किसान संगठनों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने लंबे समय से इंतजार किया था। सरकार के इस निर्णय के बाद पूरे प्रदेश में किसानों के बीच राहत और खुशी का माहौल देखा जा रहा है।

किसानों की लंबे समय से थी मांग

लैंड पूलिंग कानून को लेकर किसान संगठनों ने लगातार विरोध जताया था। किसानों का कहना था कि इस कानून से उनकी भूमि पर स्वामित्व और भविष्य की सुरक्षा को लेकर कई तरह की अनिश्चितताएं पैदा हो सकती थीं। कई जगहों पर किसानों ने ज्ञापन सौंपे थे और धरना-प्रदर्शन भी किए थे। सरकार ने इन विरोधों को गंभीरता से लेते हुए कानून की समीक्षा की और अंततः इसे वापस लेने का निर्णय लिया। इस फैसले को किसान हित में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है।

LAND POOL KANOON: सीएम ने कहा, किसानों की इच्छा सर्वोपरि

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता हमेशा किसानों का हित है। उन्होंने कहा, किसानों की जमीन और उनके अधिकारों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। लैंड पूलिंग कानून को लेकर किसानों की जो भी शंकाएँ थीं, उनके समाधान के लिए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसी नीतियों पर आगे काम करेगी जिनसे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो और ग्रामीण विकास की रफ्तार तेज हो।

किसानों में राहत और समर्थन का माहौल

कानून वापस लेने की घोषणा के बाद कई जिलों से किसानों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। कई किसान नेताओं ने इसे “ऐतिहासिक निर्णय” बताया है। उनका कहना है कि इससे किसानों का भरोसा सरकार की नीतियों पर और मजबूत होगा। सोशल मीडिया पर भी किसानों और ग्रामीण समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद दिया और इसे ‘किसान हित में लिए गए सबसे बड़े निर्णयों में से एक’ बताया।

LAND POOL KANOON: जानिए क्या था लैंड पूल कानून?

उज्जैन के कुंभ से जुड़ा लैंड पूलिंग कानून किसानों की ज़मीन मिलाकर स्थायी कुंभ सिटी बनाने की योजना था। इसमें किसानों की ज़मीन का हिस्सा लेकर सड़क-इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाना था और बदले में उन्हें विकसित प्लॉट लौटाने की बात थी। लगभग 1,800 से ज़्यादा किसानों की ज़मीन इस योजना में शामिल की गई थी। किसानों ने इसे ज़मीन छीनने जैसा बताते हुए जोरदार विरोध किया। विरोध बढ़ने पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह लैंड पूलिंग कानून वापस ले लिया।

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