Volcano Ash: पूर्वी अफ्रीकी देश इथियोपिया में हुए ज्वालामुखी विस्फोट का प्रभाव अब भारत में भी दिखाई देने जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार इस विस्फोट से उठी राख की विशाल परत आज रात लगभग 10 बजे तक भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में पहुँच सकती है। प्रारंभिक आकलन के मुताबिक राख का यह गुबार सबसे पहले गुजरात और राजस्थान की ओर बढ़ेगा, जिसके बाद इसके दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में फैलने की संभावना है। इसके कारण आसमान में धुंधलापन बढ़ सकता है और दृश्यता में गिरावट दर्ज हो सकती है।

ऊँचाई पर तेजी से फैल रहा राख-बादल
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्वालामुखी से निकला यह राख-बादल वायुमंडल की 15,000 से 45,000 फीट ऊंचाई पर तेज गति से यात्रा कर रहा है। इसमें सल्फर डाइऑक्साइड, काँच और चट्टानों के सूक्ष्म कण शामिल हैं, जो वायुमंडल को सामान्य स्थिति की अपेक्षा अधिक धुंधला और अंधेरा बना सकते हैं। विशेषज्ञों ने यह भी संकेत दिया है कि यदि राख की सांद्रता बढ़ती है तो तापमान में भी हल्की गिरावट दर्ज की जा सकती है।
Volcano Ash से बढ़ी उड़ानों में देरी
इस घटना का सबसे बड़ा प्रभाव हवाई यातायात पर पड़ सकता है। इंडियामेटस्काई ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वायु मार्गों में राख मौजूद होने के कारण उड़ानों का समय बढ़ सकता है, देरी या मार्ग परिवर्तन की स्थिति बन सकती है, और कुछ उड़ानें रद्द भी हो सकती हैं। गुजरात के पश्चिमी हिस्सों में राख-बादल के प्रवेश की पुष्टि के बाद इसे राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र और उसके बाद दिल्ली-एनसीआर व पंजाब की ओर बढ़ता हुआ बताया गया है। संभावना यह भी है कि आने वाले समय में यह हिमालयी क्षेत्रों को प्रभावित करे।
एयरलाइंस भी सावधान
यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनज़र इंडिगो एयरलाइंस ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय विमानन एजेंसियों के साथ समन्वय में हालात पर 24 घंटे नजर बनाए हुए है। कंपनी ने बताया कि यात्रियों को न्यूनतम असुविधा हो इसके लिए सभी आवश्यक एहतियात बरते जा रहे हैं और आवश्यक अपडेट लगातार जारी किए जाएंगे।

विशेषज्ञों की सलाह
यह स्थिति लगातार बदल रही है, इसलिए विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि लोग मौसम संबंधी अपडेट और नागरिक उड्डयन निर्देशों पर विशेष ध्यान दें और जरूरी होने पर ही यात्रा करें। ज्वालामुखी यद्यपि हजारों किलोमीटर दूर फटा है, लेकिन उसका प्रभाव यह दिखाता है कि एक महाद्वीप की भू-वैज्ञानिक गतिविधि का असर दूसरे महाद्वीप के पर्यावरण, यातायात और जीवन पर भी पड़ सकता है।
Written By- Anurag Vishwakarma
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