Karnataka Politics: कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रही सुगबुगाहट के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बड़ा बयान देकर राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है। खरगे ने स्वीकार किया है कि राज्य में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद है, लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि यह मसला जल्द ही हल कर लिया जाएगा। पार्टी अध्यक्ष का यह बयान उस समय आया है जब डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है।
सोनिया-राहुल-खरगे मिलकर सुलझाएंगे विवाद
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने स्पष्ट कहा कि कर्नाटक में चल रहे नेतृत्व विवाद को सोनिया गांधी, राहुल गांधी और वे स्वयं मिलकर सुलझा लेंगे। उन्होंने बताया कि वे अगले 48 घंटे में राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे और हालात पर विस्तार से चर्चा करेंगे। एक दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है, ऐसे में पार्टी हाईकमान इस मामले को लंबा खिंचने से रोकना चाहता है।
Karnataka Politics: सिद्धारमैया-डीके शिवकुमार को दिल्ली बुलाए जाने की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खरगे और राहुल गांधी की बैठक के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को दिल्ली बुलाया जा सकता है। आलाकमान दोनों नेताओं के बीच जारी रस्साकशी को बंद कर राज्य सरकार और संगठन में स्थिरता लाना चाहता है। कांग्रेस ने पहली बार आधिकारिक तौर पर माना है कि कर्नाटक में सत्ता संघर्ष चल रहा है।
सब ठीक है, BJP फैला रही अफवाहें – सुरजेवाला
खरगे के बयान से ठीक उलट, कांग्रेस संचार प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि कर्नाटक में किसी तरह का नेतृत्व संकट नहीं है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि उन्होंने तीनों वरिष्ठ नेताओं से बात की है और सभी सहमत हैं कि बीजेपी इस विवाद को हवा देने की कोशिश कर रही है। हालांकि आलाकमान द्वारा विवाद स्वीकार किए जाने के बाद सुरजेवाला का बयान सवालों के घेरे में है।
Karnataka Politics: ढाई साल पूरे, फिर उठी नेतृत्व परिवर्तन की मांग
कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार के ढाई साल पूरे होते ही सत्ता संतुलन का मुद्दा फिर से जोर पकड़ने लगा है। इससे पहले भी कई बार नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएँ उठ चुकी हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया साफ कह चुके हैं कि वे पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे और आगामी बजट भी खुद ही प्रस्तुत करेंगे।लेकिन पार्टी के भीतर बढ़ती मांगों को देखते हुए हाईकमान जल्द समाधान तलाशने में जुट गया है।
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