Azam Khan Encounter Fear: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने सीतापुर जेल में बिताए कठिन दिनों को याद करते हुए कहा कि जेल में बैरक बदलने और बेटे अब्दुल्ला आजम को दूसरी जेल में भेजे जाने की घटना उनके जीवन का सबसे डरावना पल था। एक Interview के दौरान आजम ने बताया कि रात करीब तीन बजे जब जेल प्रशासन ने उनके बेटे को अलग वाहन में ले जाया गया, तो उन्हें लगा कि यह आखिरी मुलाकात है। आजम खान के शब्दों में “मैंने सुना था कि एनकाउंटर हो रहे हैं। उस वक्त मैंने बेटे से कहा जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे, नहीं तो ऊपर मिलेंगे। वह रात और अगला पूरा दिन उनके जीवन का सबसे कठिन दौर था, जब तक उन्हें यह पता नहीं चल गया कि अब्दुल्ला सुरक्षित हैं।
राजनीतिक सफर के कई अनुभव किए साझा
Azam Khan Encounter Fear: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के साथ बातचीत में आजम खान ने अपने राजनीतिक सफर के कई अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान आपातकाल के समय उन पर देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल भेजा गया था। मुझे उस अंधेरी कोठरी में रखा गया, जहां पहले सुंदर डाकू बंद था। जब जमानत मिली तो एक और मुकदमा मीसा (MISA) के तहत दर्ज कर दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने रामपुर के बीड़ी मजदूरों और बुनकरों की आवाज उठाई और चौधरी चरण सिंह को “एक सच्चा जननेता” बताया।
यूनिवर्सिटी बनाना मेरा गुनाह बताया गया
Azam Khan Encounter Fear: सपा नेता ने बताया कि उनके खिलाफ दर्ज 94 मुकदमे पूरी तरह झूठे और राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि मैंने यूनिवर्सिटी बनाई, यही मेरा अपराध बना दिया गया। मुझ पर भ्रष्टाचार या कमीशनखोरी का कोई आरोप नहीं, फिर भी मुझे अपराधी की तरह व्यवहार किया गया। जेल में उन्हें फांसीघर जैसी कोठरी में रखा गया, जहां बीमारी के बावजूद डॉक्टरों को बुलाने की अनुमति नहीं थी।
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