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Bihar Election 2025: 20 साल की सियासत में ‘बेदाग छवि’, ये 5 कारण Nitish Kumar को अन्य मुख्यमंत्रियों से अलग बनाती है!

Bihar Election 2025

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से हो चुका है। जिसके लिए प्रशासन की सराहना करना बेहद जरूरी है, क्योंकि जिस राज्य में पहले कभी मतदान के दौरान बूथ लूट करते थे बंदूक चला करती थी, वहां इस बार जनता ने रिकॉर्ड तोड़ मतदान कर पिछले 20 साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसके बाद अब कल यानी 11 तारीख को दूसरे चरण का मतदान होगा और 14 तारीख को नतीजे आने पर ये साफ हो जाएगा कि बिहार की जनता ने अगले 5 साल के लिए बिहार के विकास की चाबी किस पार्टी के हाथ में सौंपी है। लेकिन नतीजा के आने से पहले राजनीति के चर्चा का बाजार इस बात को लेकर गर्म है कि क्या इस बार एनडीए सरकार अगर बनती है तो वह नीतीश कुमार को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाएगी। क्योंकि जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियां में नीतीश कुमार का शामिल न होना और साथ ही भाजपा नेताओं द्वारा नीतीश कुमार के सीएम बनाए जाने को लेकर गोल मटोल जवाब देना कहीं ना कहीं जहन में यह सवाल पैदा कर देता है कि क्या इस बार फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सीएम नीतीश कुमार को एनडीए सरकार बैठाएगी? खैर इसको लेकर तो तस्वीर तभी साफ होगी जब नतीजे में एनडीए की सरकार बनेगी और सरकार बनने के बाद बीजेपी क्या फैसला लेगी। लेकिन क्या आप जानते हैं नीतीश कुमार की कुछ ऐसी खूबियां जो उन्हें अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री से अलग बनाती है तो चलिए बताते हैं आपको कुछ ऐसे कारण जो नीतीश कुमार की छवी को बेदाग और साफ सुथरा बनाती है।

भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं

बिहार की राजनीति में अगर किसी नेता का नाम ईमानदारी, सादगी और सुशासन के प्रतीक के रूप में लिया जाता है, तो वह नाम है नीतीश कुमार। पिछले दो दशकों से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद, उन पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा। यही बात उन्हें देश के अन्य नेताओं से अलग पहचान दिलाती है।

Bihar Election 2025: जाति-धर्म से ऊपर उठकर राजनीति

नीतीश कुमार ने कभी भी अपनी राजनीति को जाति या धर्म के चश्मे से नहीं देखा। बिहार जैसी जटिल सामाजिक संरचना वाले राज्य में यह अपने आप में बड़ी बात है। उन्होंने हमेशा सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की कोशिश की और विकास को प्राथमिकता दी।

परिवारवाद से दूर रहे ‘सुशासन बाबू’
                                                                              परिवारवाद से दूर रहे ‘सुशासन बाबू’

परिवारवाद से दूर रहे ‘सुशासन बाबू’

जहां आज राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला है, वहीं नीतीश कुमार ने इस प्रवृत्ति से हमेशा दूरी बनाए रखी। उनके पास अवसर था। वे चाहते तो अपने बेटे को राजनीति में ला सकते थे, उन्हें विधायक या मंत्री बना सकते थे। लेकिन उन्होंने परिवार को राजनीति में शामिल नहीं किया, बल्कि सार्वजनिक जीवन में सादगी और ईमानदारी को तरजीह दी।

कभी नहीं लगा इंडस्ट्री से साठगांठ का आरोप

अक्सर नेताओं पर उद्योगपतियों से नजदीकी और साठगांठ के आरोप लगते हैं, लेकिन नीतीश कुमार उन गिने-चुने नेताओं में से हैं जिन पर कभी भी किसी कारोबारी या उद्योग समूह के साथ मिलीभगत का आरोप नहीं लगा। उनका प्रशासनिक रिकॉर्ड पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए जाना जाता है।

Bihar Election 2025: बिहार को नई दिशा देने वाला चेहरा

2005 में जब उन्होंने सत्ता संभाली, तब बिहार पिछड़ेपन, अपराध और भ्रष्टाचार से जूझ रहा था। नीतीश कुमार ने कानून-व्यवस्था, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में बदलाव लाकर ‘सुशासन बाबू’ की छवि बनाई।हालांकि उनकी नीतियों और राजनीतिक निर्णयों पर मतभेद रहे हैं, लेकिन उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी पर कभी सवाल नहीं उठे।

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