Bihar GangWar: 90 के दशक का बिहार गैंगवार, गोलियों की तड़तड़ाहट और अपराध की कहानियों के लिए कुख्यात था। इसी दौर में एक आम युवक अशोक ने अपराध की दुनिया में कदम रखा और देखते ही देखते “अशोक सम्राट” के नाम से बिहार का सबसे खौफनाक डॉन बन गया।
चंदेश्वर सिंह की हत्या और सम्राट का जन्म
Bihar GangWar: 31 जनवरी 1990, सरस्वती पूजा का दिन। जगह – मुजफ्फरपुर का छाता चौक। बहुचर्चित बाहुबली चंदेश्वर सिंह अपने काफिले के साथ गुजर रहा था। अचानक उसकी गाड़ी खराब हो गई। वह बाहर निकला और सिगरेट जलाने ही वाला था कि पीछे से चली गोली उसकी पीठ में लगी और सीना चीरती निकल गई। कुछ ही मिनटों में ताबड़तोड़ गोलियों ने उसके सभी साथियों को ढेर कर दिया। तभी धुएं के बीच से एक युवक सामने आया—6 फीट लंबा, काले घुंघराले बाल, कंधे पर AK-47 लटकाए। उसने चंदेश्वर के सीने पर पैर रखकर कहा: “कहा था न, आज ही के दिन मारूंगा।” और फिर AK-47 की पूरी मैगज़ीन उसके शरीर में उतार दी। यहीं से अशोक बन गया अशोक सम्राट।
बिहार में पहली बार गूंजी AK-47 की दहाड़
Bihar GangWar: उस दौर में अपराधी आमतौर पर देसी पिस्तौल और कट्टे का इस्तेमाल करते थे। लेकिन पहली बार बिहार ने AK-47 की गूंज सुनी। लोग समझ गए कि यह कोई साधारण अपराधी नहीं, बल्कि नए युग का डॉन है।
नेटवर्क और दुश्मनों का सफाया
Bihar GangWar: चंदेश्वर सिंह की हत्या के बाद अशोक सम्राट का नाम तेजी से फैलने लगा। उसका नेटवर्क इतना मजबूत हो गया कि उसने बिना बेगूसराय गए ही अपने पुराने दुश्मन रामविलास चौधरी की हत्या करवा दी। धीरे-धीरे उसका खौफ पूरे राज्य में फैल गया।
जब डॉन को हुआ प्यार
Bihar GangWar: अपराध की दुनिया से अलग उसकी निजी जिंदगी भी सुर्खियों में रही। पटना के शास्त्री नगर स्थित अलकनंदा अपार्टमेंट्स में उसका ठिकाना था। वहीं एक बैंक अधिकारी शाही जी अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ रहते थे। एक दिन अशोक की नजर उनकी बड़ी बेटी भव्या (बदला हुआ नाम) पर पड़ी। पहली ही मुलाकात में वह उसे पसंद कर बैठा। धीरे-धीरे मुलाकातें बढ़ीं और भव्य ने भी अशोक को चाहना शुरू कर दिया।
बचपन और अधूरे सपने
Bihar GangWar: बेगूसराय जिले के सोखहारा गाँव में जन्मे अशोक शर्मा उर्फ अशोक सम्राट बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ थे। उन्होंने डबल MA तक की पढ़ाई की और पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखा। लेकिन किस्मत ने करवट ली। एक बचपन की घटना—जब उसने गलती से खुद को गोली मार ली—उसकी ज़िंदगी की दिशा बदल गई।
अपराध की दुनिया में पहला कदम
Bihar GangWar: साल 1983-84 के दौरान जब गाँवों में खाद और बीज की कमी थी, तो इन्हें सड़कों पर ही उतारा जाता था। अशोक ने अपने साथी रामविलास के साथ मिलकर खाद चोरी का धंधा शुरू किया। इसी बीच, अपने बचाव और धौंस जमाने के लिए उसने हथियार खरीदे। बुलेट मोटरसाइकिल और खुली जीप में घूमना उसका अंदाज़ बन गया। यहीं से उसकी पहचान बननी शुरू हुई और धीरे-धीरे वह कम्युनिस्ट व्यापारियों का दुश्मन बन गया।
दोस्त से दुश्मनी
Bihar GangWar: रामविलास और अशोक की जोड़ी मज़बूत थी, लेकिन बीच में दरार पड़ गई। एक दिन शराब के नशे में किसी ने रामविलास के कान भर दिए कि “सारा काम तुम करते हो, लेकिन नाम अशोक का हो रहा है।” बस, यहीं से दोनों के बीच दुश्मनी शुरू हो गई।
खून से रंगे समारोह
Bihar GangWar: साल 1986 में मुजफ्फरपुर में एक बड़े बहुबली चंदेश्वर सिंह के बेटे का तिलक हो रहा था। उसी भीड़ में अशोक सम्राट और उसका साथी मिनी नरेश भी पहुँचे। अचानक अशोक ने पिस्तौल निकाली और गोलियों की बरसात कर दी। इस हमले में चंदेश्वर सिंह के परिवार के कई लोग मारे गए। बाद में 1989 में, सरस्वती पूजा के दिन, चंदेश्वर ने बदला लिया और मिनी नरेश को हॉस्टल में घुसकर तलवार से काट डाला।
पुलिस और सिस्टम की चुनौती
Bihar GangWar: अशोक पर 40 से ज़्यादा केस दर्ज थे, लेकिन पुलिस के पास उसकी कोई तस्वीर तक नहीं थी। वह कभी बुलेट पर घूमता, तो कभी फिल्मी अंदाज़ में जीप लेकर निकल पड़ता। बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडे के अनुसार—“बेगूसराय समेत कई जिलों में अशोक की ही बादशाहत थी। उसके रास्ते से पुलिस गुजरने की हिम्मत नहीं करती थी।”
धोखे में एनकाउंटर
Bihar GangWar: 5 मई 1995 को पटना पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि वैश्याली में हुए मुठभेड़ में 3 बड़े अपराधी ढेर कर दिए गए। इनमें से एक का चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था क्योंकि उसे पत्थर से कुचला गया था। बाद में खुलासा हुआ कि वह शख्स और कोई नहीं बल्कि अशोक सम्राट था।