मोहन भागवत NEWS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि आरएसएस का लक्ष्य हिंदू समाज को सत्ता के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र के गौरव के लिए संगठित करना है और हिंदू भारत के लिए ‘जिम्मेदार’ हैं। उन्होंने यह टिप्पणी बेंगलुरु में ‘संघ की 100 वर्ष की यात्रा: नए क्षितिज’ विषय पर व्याख्यान देते हुए की। आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले और विभिन्न क्षेत्रों के लोग उपस्थित थे।
संघ की संगठित शक्ति का मकसद
मोहन भागवत NEWS: भागवत ने कहा कि संघ का उद्देश्य सत्ता हासिल करना नहीं बल्कि भारत माता की महिमा के लिए समाज की सेवा और संगठित करना है। उन्होंने बताया कि अब लोग संघ की यह भूमिका विश्वास के साथ स्वीकार करते हैं।
हिंदू समाज पर क्यों है फोकस
मोहन भागवत NEWS: भागवत ने कहा कि आरएसएस हिंदू समाज पर इसलिए ध्यान केंद्रित करता है क्योंकि हिंदू भारत के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत एक प्राचीन राष्ट्र है और इसकी मूल संस्कृति हिंदू है।
भारत में कोई अहिंदू नहीं
मोहन भागवत NEWS: उन्होंने कहा कि भारत में वास्तव में कोई ‘अहिंदू’ नहीं है। मुसलमान और ईसाई भी एक ही पूर्वजों के वंशज हैं और सभी भारतीय संस्कृति का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू होने का मतलब भारत के प्रति जिम्मेदारी निभाना है।
सनातन धर्म और संघ की यात्रा
मोहन भागवत NEWS: भागवत ने कहा कि सनातन धर्म की प्रगति भारत की प्रगति है। संघ को 60-70 वर्षों तक विरोध, प्रतिबंध और स्वयंसेवकों पर हमलों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद स्वयंसेवक संघ को अपना सब कुछ देते हैं और बदले में कुछ नहीं चाहते।
100 साल के लक्ष्य
मोहन भागवत NEWS: भागवत ने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ का उद्देश्य हर गांव और समाज के हर तबके, जाति और वर्ग तक अपनी विश्वसनीयता और कार्य पहुंचाना है।
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