MP NEWS : बीना से कांग्रेस के टिकट पर जीतीं विधायक निर्मला सप्रे द्वारा भाजपा का दामन थामने के बाद भी उनकी विधायकी निरस्त नहीं किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और विधायक निर्मला सप्रे को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
उमंग सिंघार की ओर से दायर की
MP NEWS : याचिका विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की ओर से दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि निर्मला सप्रे ने कांग्रेस से चुनाव जीतने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, जो दल-बदल कानून का उल्लंघन है। उन्होंने 16 माह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को सप्रे की सदस्यता निरस्त करने की मांग वाली याचिका सौंपी थी, लेकिन अब तक उस पर कोई निर्णय नहीं हुआ।
दल बदलने पर सदस्यता खो देता
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल और जयेश गुरनानी ने तर्क दिया कि संविधान की अनुच्छेद 191(2) और दसवीं अनुसूची के अनुसार कोई भी विधायक दल बदलने पर सदस्यता खो देता है। यदि वह विधायक बने रहना चाहता है तो उसे पुनः चुनाव लड़ना चाहिए।
16 माह बाद भी निर्णय क्यों नहीं
MP NEWS : सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रशांत सिंह से न्यायालय ने पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने केशम बनाम मणिपुर राज्य और पाडी कौशिक रेड्डी बनाम तेलंगाना राज्य मामलों में स्पष्ट कहा है कि दल-बदल याचिका का निराकरण तीन माह में होना चाहिए, तो फिर 16 माह बाद भी निर्णय क्यों नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को 18 नवम्बर तक जवाब देने का निर्देश दिया है। यह मामला प्रदेश की राजनीति में दल-बदल कानून की प्रभावशीलता पर एक महत्वपूर्ण न्यायिक मिसाल बन सकता है।
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