MP NEWS : अखिल भारतीय साहित्य परिषद के 17वें अधिवेशन का शुभारंभ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रीवा के कृष्णा राज कपूर आडिटोरियम में किया। उन्होंने कहा कि विन्ध्य साहित्य, संगीत और संस्कृति की साधना भूमि है, जिसने देश को सफेद बाघ, थल सेना अध्यक्ष उपेन्द्र द्विवेदी और नौसेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश त्रिपाठी जैसे गौरव दिए हैं।
मूल वाक्य ‘आत्मबोध से विश्वबोध’-पूर्व राष्ट्रपति
MP NEWS : पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि अधिवेशन का मूल वाक्य ‘आत्मबोध से विश्वबोध’ अत्यंत सार्थक है। उन्होंने कहा कि “जो स्वयं को जान लेता है वही विश्व कल्याण कर सकता है,”। साहित्य ने सदियों की पराधीनता के दौर में भी बौद्धिक चेतना और सांस्कृतिक मूल्यों की ज्योति प्रज्वलित रखी। स्वाधीनता संग्राम में साहित्यकारों ने समाज को जागृत किया और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण में साहित्य ने विकास चेतना को गति दी। उन्होंने कहा कि साहित्य ही आर्थिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक चेतना का माध्यम है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मूल्यों को पहुंचाता है।
भूमि अध्यात्म तथा संस्कृति का संगम-शुक्ल
MP NEWS : अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि तीन दिवसीय अधिवेशन में विद्वानों के विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा, वह देश को नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि विन्ध्य को महामृत्युंजय भगवान, माँ शारदा और माँ विन्ध्यवासिनी का आशीर्वाद प्राप्त है, और यह भूमि अध्यात्म तथा संस्कृति का संगम है।

एक हजार से अधिक साहित्यकार शामिल हुए
MP NEWS : इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने ‘रेवाखण्डे’ पुस्तिका का विमोचन किया। कार्यक्रम में साहित्यकार विश्वास पाटिल, डॉ. ऋषि कुमार मिश्र, डॉ. सुशीलचंद्र त्रिवेदी, श्रीधर पराडकर, राकेश सोनी और चंद्रकांत तिवारी सहित देशभर के एक हजार से अधिक साहित्यकार शामिल हुए। समारोह का संचालन डॉ. पवनपुत्र बादल ने किया।
ये भी पढ़े .. MP NEWS : बीना विधायक निर्मला सप्रे ने थामा भाजपा का दामन, हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस







