Piyush Pandey Death: भारतीय विज्ञापन जगत के महानायक और रचनात्मक प्रतिभा के प्रतीक पीयूष पांडे का 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि वे पिछले एक महीने से अस्वस्थ चल रहे थे। अपनी सरलता, गहराई और भारतीयता से भरपूर सोच के जरिए उन्होंने न केवल विज्ञापन जगत को नई दिशा दी, बल्कि आम लोगों के दिलों में भी एक खास जगह बनाई।
जयपुर से शुरू हुआ था सफर
Piyush Pandey Death: राजस्थान के जयपुर में जन्मे पीयूष पांडे बचपन से ही कल्पनाशील और रचनात्मक स्वभाव के लिए जाने जाते थे। उनके परिवार का माहौल कलात्मक था उनके भाई प्रसून पांडे फिल्म निर्देशक बने और दोनों ने मिलकर कई प्रसिद्ध रेडियो जिंगल्स पर काम किया। 1982 में ओगिल्वी इंडिया (Ogilvy India) से जुड़ने के बाद उन्होंने भारतीय विज्ञापन की भाषा ही बदल दी। उस दौर में जब अंग्रेज़ी और पश्चिमी अंदाज़ का बोलबाला था, पीयूष ने विज्ञापन को भारतीय संवेदना, बोली और भावना से जोड़ा।

राजनीति में भी छोड़ी अमिट छाप
Piyush Pandey Death: 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी का नारा ‘अबकी बार मोदी सरकार’ तैयार किया, जो भारतीय राजनीति के इतिहास में सबसे प्रभावशाली अभियानों में गिना जाता है। यह सिर्फ एक स्लोगन नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन गया।
एक विरासत जो हमेशा जीवित रहेगी
Piyush Pandey Death: 2018 में उन्हें और उनके भाई प्रसून पांडे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Cannes Lions का St. Marks Award मिला रचनात्मकता के क्षेत्र में आजीवन उपलब्धियों के लिए यह दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है। 2023 में उन्होंने ओगिल्वी इंडिया के कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और सलाहकार की भूमिका निभाने लगे। पीयूष पांडे अपने पीछे एक ऐसी रचनात्मक विरासत छोड़ गए हैं, जिसने भारतीय विज्ञापन को सिर्फ व्यवसाय नहीं, बल्कि भावना और जुड़ाव की कला बना दिया।







