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Delhi News: सपा सांसद रामजीलाल सुमन के खिलाफ ‘सुदर्शन वाहिनी’ ने पार्लियामेंट थाने में दर्ज कराई शिकायत

"Samajwadi Party MP Ramji Lal Suman speaking at an event, facing backlash for his controversial statement on Rana Sanga."

भारत के इतिहास में वीरता और शौर्य की प्रतीक हस्तियों का हमेशा सम्मान किया गया है, लेकिन समय-समय पर कुछ राजनीतिक या सामाजिक व्यक्तित्व ऐसे बयान देते हैं, जो इन महान विभूतियों के सम्मान को ठेस पहुँचाते हैं। हाल ही में समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने मेवाड़ के महान योद्धा राणा सांगा के प्रति कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी की है, जिसके बाद से देशभर में रोष फैला हुआ है। बीते दिन इस बयान के खिलाफ सुदर्शन वाहिनी संगठन ने दिल्ली पुलिस के पार्लियामेंट थाने में आधिकारिक रूप से आरोपी सुमन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। साथ ही अपना विरोध जताते हुए सांसद की तस्हैवीर को अपने पैरों तले कुचला। अब वाहिनी के पदाधिकारियों ने दिल्ली पुलिस से सांसद पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद शर्मा ने मीडिया को दिए बयान में कहा “यह सिर्फ राणा सांगा का नहीं, बल्कि पूरे देश के स्वाभिमान का सवाल है। ऐसे वीर योद्धाओं का अपमान किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने जो अपमानजनक टिप्पणी की है, वह न केवल इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का प्रयास है, बल्कि हमारे गौरवशाली योद्धाओं के बलिदान का भी अपमान है। हमने इस मामले में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी है और मांग करते हैं कि इनके खिलाफ जल्द से जल्द सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।”

विनोद शर्मा ने आगे कहा कि यदि प्रशासन इस मामले में निष्क्रिय रहता है, तो सुदर्शन वाहिनी और अन्य राष्ट्रवादी संगठन सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने हिंदू संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे एकजुट होकर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाएँ, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति हमारे इतिहास और महान विभूतियों के खिलाफ अपमानजनक बयान देने का साहस न कर सके। इस दौरान विजय हिंदू, अमित राठौड़, सुमित शुक्ला, प्रोफेसर विनय. अभिषेक आदि हिंदूवादी लोग मौजूद रहे।

राजनीतिक माहौल गर्माया

इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल और गरमा गया है। बीजेपी और अन्य हिंदू संगठनों ने सपा पर जमकर निशाना साधा है, वहीं समाजवादी पार्टी इस विवाद से किनारा करती नजर आ रही है। यहां तक कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने तो सुमन के बयान का समर्थन तक कर दिया। इससे नाराज करणी सेना के पदाधिकारियों ने आगरा स्थित सपा सांसद रामजीलाल सुमन के घर पर हमला बोल दिया जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो गुस्सा भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया और तोड़फोड़ भी की। इस विरोध प्रदर्शन में कई लोगों के घायल होने की भी खबर है।

बीजेपी के प्रवक्ता ने कहा:
“यह समाजवादी पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है। वे हमेशा हिंदू वीरों को अपमानित करने की कोशिश करते हैं। इस बार भी ऐसा ही किया गया है। हम इस मामले को संसद तक ले जाएंगे।”

कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी:
“ऐसे बयान नहीं दिए जाने चाहिए, जो समाज में तनाव पैदा करें। लेकिन इस विवाद को बेवजह तूल नहीं देना चाहिए।”

राणा सांगा: भारत के गौरवशाली योद्धा

राणा सांगा, जिन्हें महाराणा संग्राम सिंह के नाम से भी जाना जाता है, मेवाड़ के एक महान योद्धा और शासक थे। वे सिसोदिया राजवंश से ताल्लुक रखते थे और 1509 से 1528 तक मेवाड़ पर शासन किया। उनका नाम भारतीय इतिहास में वीरता, रणनीति और युद्धकौशल के लिए अमर है। राणा सांगा को 36 युद्धों में लड़ने और बहादुरी से जीतने के लिए जाना जाता है। इन युद्धों में उन्होंने अपने शरीर पर 80 से अधिक घाव सहन किए थे। वे एक हाथ, एक पैर और एक आँख गंवाने के बावजूद युद्ध के मैदान में डटे रहे। उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक अपने राज्य और धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष किया।खानवा की लड़ाई में हार के बाद भी, उन्होंने फिर से सेना संगठित करने की कोशिश की। लेकिन कुछ राजपूत सरदारों के विश्वासघात के कारण उन्हें जहर देकर मार दिया गया। 1528 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी वीरता और बलिदान की कहानियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।


सपा सांसद का विवादित बयान…

मीडिया रिपोर्ट्स और वायरल हो रहे वीडियो के अनुसार, रामजी लाल सुमन ने अपने बयान में राणा सांगा के इतिहास और उनकी भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा था कि राणा सांगा कोई महान योद्धा नहीं थे, उन्हें बेवजह महिमामंडित किया जाता है। उनके युद्धों का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं था, बल्कि वे सिर्फ सत्ता के लिए लड़े थे। राजपूत शासकों ने हमेशा बाहरी ताकतों से लड़ने के बजाय आपस में युद्ध किए, जिससे भारत में विदेशी आक्रमणकारियों को मदद मिली। अगर राणा सांगा इतने ही महान होते, तो बाबर भारत पर शासन नहीं कर पाता।