Talibaan minister: तालिबान के अफगानिस्तान में दोबारा सत्ता में आने के बाद भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में हाल ही में अहम बदलाव देखने को मिले हैं। भले ही भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन दोनों देश भरोसे के नए दौर में कदम रख रहे हैं। इसी क्रम में अफगानिस्तान के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री नूरुद्दीन अजीजी पांच दिनों की भारत यात्रा पर दिल्ली पहुंचे हैं। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत के साथ आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को और मजबूत करना है।
Talibaan minister: दोनों देशों का साझा फायदा
विशेषज्ञों के मुताबिक यह यात्रा सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि बदलते भू-राजनीतिक हालात का हिस्सा है। अफगानिस्तान जहां भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाकर अपना व्यापार मजबूती देना चाहता है, वहीं भारत भी इस रिश्ते को एक अवसर के रूप में देख रहा है। हालांकि तालिबान शासन को अभी तक किसी देश ने औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन भारत व्यावहारिक कूटनीति अपनाते हुए आर्थिक मोर्चे पर तालिबान प्रशासन से संवाद बनाए हुए है। पाकिस्तान से तालिबान के बिगड़ते संबंधों के बीच अफगानिस्तान भी भारत को नए भरोसेमंद सहयोगी के रूप में देख रहा है।
Talibaan minister: अफगानिस्तान के हाल के कदम
बीते दिनों अफगान सरकार ने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जो दोनों देशों के रिश्तों को मजबूती की ओर ले जाते दिख रहे हैं। अफगान एयरलाइंस Ariana Airlines ने काबुल–दिल्ली कार्गो रूट का किराया कम किया है ताकि व्यापारियों को भारत तक सामान भेजने में आसानी हो सके। भारत–अफगानिस्तान का बड़ा व्यापार एयर कार्गो और चाबहार पोर्ट के जरिए होता है। तूरखम बॉर्डर बंद होने के बाद ये दोनों रूट और भी महत्वपूर्ण हो गए हैं।
अजीजी के दौरे में क्या चर्चा होगी?
इस हाई-लेवल विज़िट के दौरान दोनों देश व्यापार बढ़ाने, निवेश के नए रास्ते खोलने और चाबहार रूट के अधिक प्रभावी उपयोग पर चर्चा करेंगे। भारत की रणनीति साफ है, वह अफगानिस्तान में अपने बड़े निवेश को सुरक्षित रखना चाहता है और साथ ही पाकिस्तान–चीन के प्रभाव को चुनौती देने के लिए तालिबान से सीधे संवाद भी जारी रखे हुए है। यही कारण है कि राजनीतिक मान्यता न होने के बावजूद आर्थिक स्तर पर भारत और तालिबान के बीच बातचीत लगातार बढ़ रही है।
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