उत्तर प्रदेश के मुखिया आदित्यनाथ योगी हमेशा बुलडोजर कार्यवाही को प्रमुखता से रखते हैं। जब भी कोई बड़ा विवाद प्रदेश में हो तो बुलडोज़र चलना तय मानिए। जिसे लेकर यूपी सरकार के विरोधी लोग सोशल मीडिया पर बुलडोज़र नीति का अपने-अपने तरीक़े से विरोध प्रकट करते हैं। तो एक बड़ी संख्या में जनता इस नीति को सही ठहराती है। समुदाय विशेष के लोग एक बड़ा आरोप यह भी लगाते हैं कि योगी का बुलडोज़र धर्म देखकर चलता है। जबकि योगी सरकार कहना गुंडे, अपराधियों, माफियाओं की कमर तोड़ने व शांति स्थापित करने के लिए बुलडोज़र ज़रूरी है।
इन दिनों बरेली का मामला चर्चाओं में है और प्रदेश की सरकार ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रही है। बरेली में जुमे की नमाज़ के बाद सड़कों पर निकले मुस्लिम समाज के लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया जिसके बाद प्रशासन ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तीतर-बितर किया। तब जाकर मामला शांत हुआ। लेकिन मुख्यमंत्री के एक बयान ने प्रदेश के साथ ही देश की राजनितिक गलियारों में गर्म हवा का तूफ़ान ला दिया। हर किसी की जुबां पर चर्चा का विषय बन गया।
मौलाना भूल गया प्रदेश में शासन किसका है : योगी
सीएम योगी ने बरेली की घटना पर कहा कि बरेली में एक मौलाना भूल गया था कि शासन किसका है। वह धमकी देकर जाम लगाने की बात करता था, लेकिन हमने कहा कि न जाम होगा, न कर्फ्यू लगेगा। हम ऐसा सबक सिखाएंगे कि तुम्हारी आने वाली पीढ़ियां भी दंगा करना भूल जाएंगी।
सीएम ने जोर देकर कहा कि 2017 के बाद उनकी सरकार ने दंगाइयों को चुन–चुनकर सजा दी और ऐसी भाषा में जवाब दिया, जो वे समझते थे। इस सख्ती ने प्रदेश में शांति और सुरक्षा का नया युग स्थापित किया, जिससे यूपी की ग्रोथ स्टोरी की शुरुआत हुई।
बरेली हिंसा की पूरी कहानी..
जानकारी है कि पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम खान के बक़ौल उसने हिंसा से एक दिन पहले इत्तेहाद–ए–मिल्लत काउंसिल के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में एक मैसेज डालकर लोगों को भड़काया था। उसे मैसेज में काउंसिल की शांति अपील को फर्जी बताया था। 25 सितंबर को दिन में काउंसिल के लेटरहेड पर लिखकर एक शांति अपील की गई थी कि बरेली प्रशासन ने इस्लामिया इंटर कॉलेज में सभा करने की परमिशन नहीं दी है।
मौलाना तौकीर रजा सरकर को ज्ञापन सौंपेंगे। इसलिए लोग जुमे की नमाज के बाद अपने घर चले जाएंगे, लेकिन रात 1 बजकर 23 मिनट पर नदीम के मैसेज ने लोगों को भड़का दिया। उसने मैसेज में लिखा कि काउंसिल के लेटरहेड पर की गई शांति अपील फर्जी है। इस अपीलीय संदेश का काउंसिल से कोई लेना–देना नहीं है। हम जो विरोध प्रदर्शन और आंदोलन करना चाहते हैं, उसे रोकने की साजिश रची जा रही है।
अब तक 73 गिरफ्तार..
बरेली एसपी सिटी मानुष पारेख ने बताया कि बरेली शहर में 26 सितंबर 2025 को हिंसा हुई थी। जुमे की नमाज के बाद ‘आई लव मुहम्मद’ नामक कैंपेन के तहत हो रहा शांति प्रदर्शन पथराव, पुलिस पर हमला और आगजनी हिंसक हो गया था। पुलिस ने लाठीचार्ज करके प्रदर्शनकारियों का दमन किया था। मामले में एक्शन लेकर पुलिस अब तक 180 नामजद और 2500 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ 10 एफआईआर दर्ज कर चुकी है। अब तक मुख्य आरोपी मौलाना तौकीर राज और पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम खान समेत 73 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
बरेली में हिंसा भड़काने वाले 2 आरोपियों का एनकाउंटर हुआ है। बरेली के सीबीगंज थाना पुलिस ने दोनों को पैर में गोली मारकर पकड़ा है। आरोपियों के नाम इदरिस और इकबाल हैं, जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं दोनों आरोपियों से पुलिस को हथियार भी मिले हैं। दोनों पर 26 सितंबर को इस्लामिया इंटर कॉलेज इलाके में दंगे के दौरान पुलिस पर फायरिंग करने और एक सिपाही की सरकारी एंटी–रायट गन लूटने का आरोप है।
दंगाईयों पर सरकार कसती है चूड़ियां तो ठेकेदारों को होने लगता है दर्द..
जब यूपी की योगी सरकार दंगाईयों पर शिकंजा कसती है या फिर कमर तोड़ती है तो एक वर्ग सरकार को कोसना शुरू कर देता है। आख़िर दंगाईयों पर हो रही कार्यवाही से जिनके पेट में दर्द होता है वह लोग उस समाज को समझाने की वजाय सरकार के ख़िलाफ़ भड़काने का प्रयास क्यों करते हैं?
बरेली
न अनुमति, न अगुआई
फिर भीड़ सड़क पर कैसे आई?न कोई सुनवाई, न कोई ढिलाई
फिर हुई तुड़ाई तो उससे क्यों घबराई? https://t.co/8GIUtdMFGk— Keshav Malan (@Keshavmalan93) October 1, 2025
यूपी में बुलडोज़र की कार्यवाही हिंदुओं पर भी की गई है। ख़बर इंडिया के एक सर्वे से साफ हुआ है कि योगी सरकार की बुलडोज़र कार्यवाही से बड़ी संख्या में आम जनता संतुष्ट है और ऐसी कार्यवाही को सही ठहराती है। लेकिन कुछ राजनीतिक व किसी अन्य दलों से प्रभावित लोग ऐसी कार्यवाही को ग़लत बताते हैं।