WEST BENGAL: पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक तनाव और तीखा होता जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा राजभवन पर गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने कड़ा जवाब दिया है और इन आरोपों को “भड़काऊ, विस्फोटक और बेहद गैर-जिम्मेदाराना” बताया है।
अपराधियों को पनाह दे रहे- कल्याण
WEST BENGAL: कल्याण बनर्जी ने दावा किया था कि राजभवन में कथित रूप से “हथियार और गोला-बारूद बांटे जा रहे हैं” और राज्यपाल “भाजपा के अपराधियों को पनाह दे रहे हैं।” आरोपों के बाद बंगाल की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
राज्यपाल बोस ने दिया जवाब
WEST BENGAL: राज्यपाल ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राजभवन की सुरक्षा कोलकाता पुलिस के हाथों में रहती है, ऐसे में वहां हथियार जमा होने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए रविवार सुबह 5 बजे से राजभवन को मीडिया, नागरिक समाज और स्वयं कल्याण बनर्जी के निरीक्षण के लिए खोल दिया, ताकि आरोपों की सच्चाई सामने आ सके। राजभवन की ओर से कहा गया कि यदि आरोप गलत साबित होते हैं, तो सांसद को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए। साथ ही, टीएमसी सांसद के खिलाफ लोकसभा सचिवालय से कार्रवाई की मांग पर भी विचार किया जा रहा है।
चुनाव से पहले बढ़ी आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति
WEST BENGAL: 2026 के विधानसभा चुनाव करीब हैं और टीएमसी तथा भाजपा के बीच सियासी खींचतान लगातार तेज हो रही है। टीएमसी आरोपों को “राजनीतिक दखल” बता रही है, जबकि भाजपा और राजभवन पूरे मामले को “कानून-व्यवस्था और संवैधानिक जिम्मेदारी” का मुद्दा बता रहे हैं। राजभवन पर लगाए गए इन आरोपों ने बंगाल में लॉ एंड ऑर्डर बनाम राजनीतिक हस्तक्षेप की बहस को फिर से तेज कर दिया है।
चुनावी असर गहराता दिख रहा है
WEST BENGAL: राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह विवाद आने वाले महीनों में बंगाल की चुनावी राजनीति का बड़ा मुद्दा बन सकता है। टीएमसी इसे भाजपा और राज्यपाल पर “पक्षपात” का आरोप लगाने के लिए इस्तेमाल करेगी, जबकि भाजपा इसे “टीएमसी की हताशा” करार दे सकती है। स्पष्ट है कि 2026 के चुनाव से पहले बंगाल में प्रशासनिक संस्थानों और राजनीतिक दलों के बीच टकराव और तेज होने वाला है।
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