SubramanyamVedam : अमेरिका में 43 साल तक गलत आरोपों में जेल में रहने वाले सुब्रमण्यम वेदम को अब बड़ी राहत मिली है। दो अलग-अलग अदालतों ने फिलहाल उनके डिपोर्टेशन (भारत भेजने) पर रोक लगा दी है। एक इमिग्रेशन जज ने कहा कि जब तक बोर्ड ऑफ इमिग्रेशन अपील यह तय नहीं कर लेता कि मामला दोबारा सुना जाएगा या नहीं, तब तक वेदम को भारत नहीं भेजा जाएगा। पेंसिलवेनिया कोर्ट ने भी इसी आदेश को बरकरार रखा।
चार दशक बाद मिला इंसाफ
SubramanyamVedam : 1980 में पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के छात्र वेदम पर अपने क्लासमेट थॉमस किंसर की हत्या का आरोप लगा था। वेदम ने हमेशा अपनी बेगुनाही का दावा किया, फिर भी उन्हें 1983 और 1988 में दोषी ठहराकर बिना पैरोल के आजीवन कारावास दिया गया। रिहाई के बाद इमिग्रेशन विभाग ने उन्हें दोबारा हिरासत में ले लिया था।
नई जांच में उजागर हुआ सच
SubramanyamVedam : इस साल अगस्त में सामने आए नए सबूतों से साबित हुआ कि हत्या में चली गोली उस बंदूक से नहीं चली थी जो वेदम से जोड़ी गई थी। एफबीआई की रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट था कि गोली के निशान .25 कैलिबर हथियार से मेल नहीं खाते।बाद में पता चला कि सरकारी वकील ने यह सबूत अदालत से छिपा लिया था। इसके बाद अदालत ने वेदम की सजा रद्द कर दी और रिहाई का आदेश दिया।
लंबी लड़ाई के बाद मिला इंसाफ
SubramanyamVedam : वेदम 9 महीने की उम्र में अपने माता-पिता के साथ अमेरिका पहुंचे थे। उनके पिता पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और वे ‘लीगल परमानेंट रेजिडेंट’ हैं। उनकी बहन सरस्वती वेदम ने 43 साल तक उनकी बेगुनाही की लड़ाई लड़ी।
उन्होंने कहा,
“हम खुश हैं कि अदालतों ने माना कि उन्हें डिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने 43 साल उस अपराध के लिए जेल में बिताए जो उन्होंने किया ही नहीं।”
NEWS WRITTEN BY : SAUBHAGYA SHREEVASTAV
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