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Jagdeep Dhankhar: भगवान करे नरेटिव के चक्कर में कोई फंस न जाए,, जगदीप धनखड़ ने इस्‍तीफे के बाद भोपाल में दिया अपना पहला सार्वजनिक संबोधन

Jagdeep dhankar in bhopal .

Jagdeep Dhankhar: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार शाम भोपाल के रवींद्र भवन में तीखे और बेबाक अंदाज़ में अपना पहला बड़ा सार्वजनिक संबोधन दिया। यह संबोधन उनका उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ देने के बाद का पहला संबोधन है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य की पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए थे। कार्यक्रम की शुरुआत में ही धनखड़ ने कहा कि “चार महीने बाद, इस अवसर पर और इस शहर में बोलते हुए मुझे संकोच नहीं होना चाहिए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि आगे वे कई विषयों पर अंग्रेजी में ही बोलेंगे, क्योंकि “जो समझना नहीं चाहते, जो हर हाल में बात को धूमिल करना चाहते हैं, वे मेरा मंतव्य नहीं समझ पाएंगे, क्योंकि मैं उनकी खास भाषा में बात नहीं करूंगा।”

भावुक स्वर में कही नैरेटिव न सेट करने की बात
फिर मुस्कुराए 

धनखड़ ने नैरेटिव की राजनीति पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि आजकल जिसे चाहो नैरेटिव बनाकर निशाना बनाया जाता है। “भगवान करे कोई नैरेटिव के चक्कर में न फंसे। मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा… पर नैरेटिव के ज़रिए किसी को भी शिकार बनाना चाहते हैं। व्यक्ति व्यक्तिगत लड़ाई नहीं लड़ सकता, लेकिन संस्था लड़ सकती है।” उन्होंने कहा कि समय की वजह से उनका गला पूरी तरह खुल नहीं पाया, पर जो कहना था, वे सीधे कहना चाहते हैं।

Jagdeep Dhankhar: पुरानी कहावत से कही बड़ी बात

संबोधन में उन्होंने एक पुरानी कहावत का ज़िक्र करते हुए कहा“जो सोया हुआ है, उसे जगा सकते हैं; लेकिन जो जागकर भी सोया हुआ है, उसे कोई नहीं जगा सकता, चाहे कितना ही बल प्रयोग क्यों न कर लो।” भाषण के बीच सहयोगी ने उन्हें फ्लाइट का समय याद दिलाया तो धनखड़ बोले,“मैं फ्लाइट पकड़ने की चिंता में अपना कर्तव्य नहीं छोड़ सकता।”

डॉ. मनमोहन वैद्य ने धनखड़ को बताया अपना अभिभावक

कार्यक्रम के दौरान लेखक डॉ. मनमोहन वैद्य ने धनखड़ को अपना अभिभावक बताते हुए कहा कि विरोध की एक घटना ने उनके भीतर के लेखक को जगाया। उन्होंने कहा कि जब संघ के प्रशिक्षण वर्ग में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को आमंत्रित किया गया था, तब वे संघ में शामिल नहीं होने वाले थे, सिर्फ संबोधन देना था, फिर भी बेवजह विरोध हुआ। “उसी अनचाहे विरोध ने मुझे लेखन की ओर प्रेरित किया,” वैद्य ने कहा। कार्यक्रम में वृंदावन के श्री आनंदमधाम आश्रम के पीठाधीश्वर ऋतेश्वर महाराज और वरिष्ठ पत्रकार विष्णु त्रिपाठी भी मौजूद रहे।

जगदीप धनखड़ ने इस्‍तीफे के बाद भोपाल में दिया अपना पहला सार्वजनिक संबोधन
Jagdeep Dhankhar: ने इस्‍तीफे के बाद भोपाल में दिया अपना पहला सार्वजनिक संबोधन

 

दिग्गी राजा ने साधा निशाना 

इस बीच धनखड़ के भोपाल पहुंचने पर एयरपोर्ट पर कोई बड़ा भाजपा नेता नहीं पहुंचा। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि “भाजपा के लिए वही अहम है, जो उनके काम आए। यूज़ एंड थ्रो यही नीति है।” हालांकि दिग्विजय सिंह ने यह भी जोड़ा कि धनखड़ RSS के कार्यक्रम में आए हैं, इसलिए उनके कार्यक्रम पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। उन्होंने मनमोहन वैद्य को लेकर भी टिप्पणी की कि “ये वही व्यक्ति हैं जिन्होंने कहा था कि गोमांस खाने पर संघ की कोई आपत्ति नहीं।” दिग्विजय ने धनखड़ के साथ आए अफसर से मुलाकात का समय भी मांगा है।

भोपाल से आदित्य शर्मा की ग्राउंड रिपोर्ट

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