Delhi blast: राजधानी दिल्ली में लाल किले के बाहर हुए धमाके की जांच लगातार आगे बढ़ रही है। इसी बीच फरीदाबाद से जुड़े आतंकी मॉड्यूल को लेकर जांच एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला है। गिरफ्तार आतंकी दानिश से पूछताछ में पता चला कि एक पाकिस्तानी हैंडलर भारत में लॉन्ग-रेंज ड्रोन की पूरी खेप भेजने की तैयारी कर रहा था। यह ड्रोन 10 किलो तक वजन उठाने और लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम बताए जा रहे हैं। इन्हें अलग-अलग पार्ट्स में पैक कर किसी एक्सपोर्ट कंपनी के जरिए भारत भेजा जाना था और यहां की एक इंपोर्ट कंपनी के माध्यम से मंगवाने की प्लानिंग थी।
ड्रोन मॉड्यूल का असली गेम प्लान बेनकाब
जांच में सामने आया कि इन हाई-कैपेसिटी ड्रोन्स का इस्तेमाल कर भारत में बड़े पैमाने पर विस्फोटक हमला करने की तैयारी थी। ड्रोन देश के भीतर पहुंचते ही मॉड्यूल सक्रिय होकर हमले को अंजाम देने वाला था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने समय रहते पूरी साजिश को नाकाम कर दिया।
Delhi blast: ऐसे उजागर हुआ पूरा मॉड्यूल
इस मॉड्यूल का भंडाफोड़ तब शुरू हुआ जब अक्टूबर के मध्य में श्रीनगर पुलिस ने नौगाम इलाके में लगे धमकी भरे पोस्टरों की जांच शुरू की। श्रीनगर के SSP डॉ. जीवी संदीप चक्रवर्ती की टीम ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर उर्फ अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद को गिरफ्तार किया। इनसे मिली जानकारी ने पूरे नेटवर्क को खोलकर रख दिया।
Delhi blast: अल-फलाह यूनिवर्सिटी का कनेक्शन
पूछताछ में एक नाम और सामने आया, पूर्व पैरामेडिक से इमाम बने मौलवी इरफ़ान अहमद का। उसके बाद जांच सीधी पहुंची फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी तक। यहां से पुलिस ने डॉ. मुज़फ्फर गनई और डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया और परिसर से 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद की, जिसने पूरे मामले का स्केल साफ कर दिया। जांच एजेंसियों के मुताबिक इस पूरे मॉड्यूल को तीन चेहरे मिलकर चला रहे थे, डॉ. मुज़फ्फर गनई, उमर नबी (लाल किले के पास विस्फोटक वाली कार पहुंचाने वाला), और फरार मुज़फ्फर राठेर।
ये तीनों मिलकर ड्रोन-आधारित बड़े हमले की कमान संभाले हुए थे।
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