Dharmendra: 1962 के भारत-चीन युद्ध ने भारतीय सेना के साहस और बलिदान की अमिट गाथा इतिहास में दर्ज की। खासकर रेजांग ला की लड़ाई, जहां मात्र 120 भारतीय सैनिकों ने 3,000 चीनी सैनिकों का सामना करते हुए वीरता की अद्वितीय मिसाल पेश की। इस शौर्य गाथा को बड़े पर्दे पर उतारा था 1964 में रिलीज हुई चेतन आनंद की क्लासिक फिल्म ‘हकीकत’ ने, जिसमें धर्मेंद्र ने एक युवा सैनिक का अविस्मरणीय किरदार निभाया।
हकीकत- जब सिनेमा बना युद्ध की सच्चाई
उस दौर में न टीवी था, न इंटरनेट। ऐसे में युद्ध की वास्तविक कहानी जनता तक पहुंचाना आसान नहीं था। चेतन आनंद ने सिनेमा को हथियार बनकर 1962 की त्रासदी और वीरता को हर भारतीय के दिल तक पहुंचाया। फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे प्रभावशाली वॉर फिल्मों में शुमार की जाती है।

Dharmendra: धर्मेंद्र का कैप्टन बहादुर सिंह पर आधारित किरदार
फिल्म में धर्मेंद्र ने कैप्टन बहादुर सिंह की भूमिका निभाई, जो रेजांग ला के नायक मेजर शैतान सिंह से प्रेरित थी। बलराज साहनी ने मेजर रंजीत सिंह का किरदार निभाया, जबकि कमांडर ब्रिगेडियर सिंह की भूमिका जयंत ने की। कहानी में कैप्टन बहादुर सिंह के पिता ही युद्ध क्षेत्र के कमांडर होते हैं, जहां कर्तव्य और भावनाओं का संघर्ष बेहद संवेदनशील तरीके से दिखाया गया है।
लद्दाख में हुई शूटिंग
कठोर मौसम और चुनौतीपूर्ण पहाड़ियों में फिल्मांकन ने इसे वास्तविकता के बेहद करीब ला दिया। दर्शकों ने फिल्म को न सिर्फ पसंद किया, बल्कि इसे देशभक्ति का प्रतीक माना। फिल्म के निर्माण के दौरान चेतन आनंद आर्थिक संकट में थे। सलाह पर उन्होंने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों से मदद मांगी, जिन्होंने दो लाख रुपये देने की सहमति दी, बशर्ते फिल्म में पंजाब के सैनिकों को भी याद किया जाए।

Dharmendra: धर्मेंद्र की फिल्मों में सैनिक भूमिकाओं का सफर
हकीकत उनकी शुरुआती बड़ी भूमिकाओं में से एक थी। इसके बाद उन्होंने कई सैन्य किरदार निभाए- 1970: तुम हसीन मैं जवान (नौसेना अधिकारी), 1972 ललकार – (मेजर राम कपूर), 2024/25 इक्कीस (ब्रिगेडियर एम.एल. खेत्रपाल), धर्मेंद्र की यह यात्रा भारतीय सिनेमा में सैनिक पात्रों की विश्वसनीयता को नई ऊंचाई देती है।
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