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Igi airport news: आई.जी.आई एयरपोर्ट पर जी.पी.एस का खेल, उड़ानों को गुमराह करने वाले सिग्नल, डी.जी.सी.ए ने उठाए कड़े कदम

IGI AIRPORT

Igi airport news: नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (IGI) एयरपोर्ट पर GPS स्पूफिंग की घटनाओं को लेकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू किंजरपु ने सोमवार को संसद में विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने बताया कि दिल्ली ही नहीं, देश के कई बड़े एयरपोर्ट्स पर भी GNSS (Global Navigation Satellite System) में इंटरफेरेंस की शिकायतें मिली हैं।

IGI एयरपोर्ट पर क्या हुआ था?

मंत्री नायडू ने कहा कि कुछ उड़ानों ने रनवे 10 पर लैंडिंग के दौरान GPS स्पूफिंग की जानकारी दी थी। इन स्थितियों में एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने इमरजेंसी प्रोसीजर अपनाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि बाकी रनवे पर पारंपरिक नेविगेशन सिस्टम काम कर रहे थे, इसलिए उड़ानों के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।डीजीसीए पहले ही GNSS इंटरफेरेंस को लेकर एडवाइजरी जारी कर चुका है। साथ ही IGI एयरपोर्ट के आसपास ऐसे मामलों की रियल-टाइम रिपोर्टिंग के लिए SOP भी लागू की गई है।

Igi airport news: अन्य एयरपोर्ट्स से भी मिल रही रिपोर्टें

मंत्री ने बताया कि हाई-लेवल मीटिंग में वायरलेस मॉनिटरिंग ऑर्गनाइजेशन (WMO) को स्पूफिंग की लोकेशन का पता लगाने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के निर्देश दिए गए थे। नवंबर 2023 से DGCA ने सभी एयरपोर्ट्स को GPS जामिंग और स्पूफिंग की रिपोर्ट देना अनिवार्य किया है। इसके बाद कोलकाता, अमृतसर, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे बड़े एयरपोर्ट्स से भी GNSS इंटरफेरेंस की नियमित रिपोर्टें मिल रही हैं।

Igi airport news: सरकार क्या कदम उठा रही है?

मंत्री के अनुसार देश में पारंपरिक (ग्राउंड-बेस्ड) नेविगेशन सिस्टम के साथ Minimum Operating Network (MON) को ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुसार बनाए रखा जा रहा है। सुरक्षा बढ़ाने के लिए: एयरपोर्ट्स पर एडवांस्ड साइबर सिक्योरिटी उपाय लागू किए गए हैं, सभी कदम NCIIPC और CERT-In के गाइडलाइंस के अनुसार हैं, बदलते साइबर खतरों से निपटने के लिए सिस्टम का लगातार अपग्रेड किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रैनसमवेयर और मैलवेयर जैसे खतरे अब एविएशन सेक्टर के सामने बड़े साइबर जोखिम बनकर उभर रहे हैं।

GPS स्पूफिंग क्या है?

GPS स्पूफिंग एक ऐसी साइबर तकनीक है जिसमें गलत GPS सिग्नल भेजकर विमान के नेविगेशन सिस्टम को गुमराह किया जाता है। इससे विमान की सही लोकेशन की पहचान प्रभावित होती है और उड़ान सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है। मार्च 2024 में भारत ने म्यांमार में राहत कार्यों के लिए छह सैन्य विमान भेजे थे। इनमें से कई को GPS स्पूफिंग की समस्या का सामना करना पड़ा था।

 

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