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flight cancellations: क्या इंडिगो पर लगेगा सुप्रीम एक्शन? CJI से तत्काल हस्तक्षेप की मांग

flight cancellations: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के लगातार उड़ान रद्द होने और देशभर के एयरपोर्ट्स पर यात्रियों के फंसने से गहराए संकट ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शीर्ष अदालत के वकील नरेंद्र मिश्रा ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है।

1,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पिछले कुछ दिनों में इंडिगो ने 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द कीं और कई में घंटों की देरी हुई, जिससे लाखों यात्री एयरपोर्ट्स पर फंस गए। वकील मिश्रा के अनुसार यह स्थिति अनुच्छेद 21 जीवन, गरिमा व सुरक्षा के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।

flight cancellations: खाना, पानी, दवाइयों तक की कमी

याचिका के मुताबिक लगातार चौथे दिन 5 दिसंबर 2025 भी एयरलाइन का ऑपरेशन बुरी तरह प्रभावित रहा और छह प्रमुख मेट्रो शहरों में ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 8.5% तक गिर गया। बुजुर्गों, बच्चों, दिव्यांगों और बीमार यात्रियों को खाने-पीने की चीजें,आराम या ठहरने की सुविधा,दवाएं और कपड़े व प्राथमिक सहायता तक उपलब्ध नहीं कराई गईं। कई मामलों में इमरजेंसी मेडिकल जरूरतों की भी अनदेखी की गई।

 flight cancellations: रोस्टरिंग में भारी चूक

याचिका में दावा है कि इंडिगो नई फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) फेज-2 को लागू करने में बुरी तरह विफल रही। यह नियम पायलटों की थकान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था, लेकिन खराब प्लानिंग और रोस्टरिंग के चलते पूरा सिस्टम चरमरा गया जिसे गंभीर कुप्रबंधन बताया गया है।

टिकटों की कीमतें आसमान पर

उड़ानों की भारी संख्या में रद्दीकरण के बीच किराए भी अचानक बढ़ गए। उदाहरण के तौर पर मुंबई–दिल्ली रूट का किराया ₹50,000 तक पहुंच गया, जिसे याचिका में ‘यात्रियों का खुला शोषण’ बताया गया है।

क्या डीजीसीए और मंत्रालय जिम्मेदार? 

याचिका में आरोप है कि:

  • डीजीसीए और नागरिक उड्डयन मंत्रालय समय पर स्थिति संभालने में नाकाम रहे
  • नियमों में अस्थायी ढील बहुत देर से दी गई
  • यात्रियों के अधिकारों की सुरक्षा नहीं हुई

याचिका में कोर्ट से स्पष्ट सवाल पूछे गए हैं कि- क्या यह मानवीय संकट अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है? क्या निजी एयरलाइन की चूक मौलिक अधिकारों का हनन मानी जाएगी? क्या डीजीसीए को इस तरह FDTL में ढील देने का अधिकार है? क्या कोर्ट गाइडलाइंस जारी कर सकता है?

तत्काल स्वतः संज्ञान और स्पेशल बेंच की मांग

अंत में याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि- इस मामले में तुरंत स्वतः संज्ञान लिया जाए, इसे PIL के रूप में स्वीकार किया जाए, एक स्पेशल बेंच बनाकर त्वरित सुनवाई की जाए। इंडिगो को आदेश दिया जाए कि वह मनमाने रद्दीकरण रोके, सुरक्षित और समयबद्ध सेवाएं बहाल करे सभी फंसे यात्रियों को मुफ्त वैकल्पिक व्यवस्था दे।

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