India Russia Relation: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत और रूस के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और किसी भी बाहरी ताकत के पास इन रिश्तों को प्रभावित करने का अधिकार नहीं है। वह एक निजी समाचार पत्र के कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां उनसे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की हालिया भारत यात्रा के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में संभावित जटिलताओं को लेकर सवाल पूछा गया।
किसी भी देश को वीटो देने का अधिकार नहीं
जयशंकर से पूछा गया कि क्या पुतिन की यात्रा से भारत-अमेरिका व्यापारिक समझौते पर असर पड़ेगा? इस पर उन्होंने दो टूक कहा कि भारत के अन्य देशों के साथ संबंधों पर किसी तीसरे देश को वीटो देने या दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, “कोई भी देश यह नहीं कह सकता कि भारत किससे संबंध रखे या किससे नहीं। यदि एक देश ऐसा दावा करेगा, तो अन्य देश भी वैसी ही उम्मीद रखेंगे। यह बिल्कुल अनुचित है।”
India Russia Relation: भू-राजनीतिक दबावों पर भारत का रुख
विदेश मंत्री ने बताया कि रूस के साथ भारत के गहरे और स्थिर संबंधों पर भू-राजनीतिक दबावों का असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत अपनी विदेश नीति अपने रणनीतिक हितों और दीर्घकालिक जरूरतों के आधार पर तय करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक मंच पर भारत के उदय के लिए विविध साझेदारियों को बनाए रखना आवश्यक है, और इसी वजह से किसी भी देश के साथ संबंधों का चुनाव भारत स्वयं करता है।
भारत की विदेश नीति पूरी तरह स्व-निर्देशित
जयशंकर ने कहा कि भारत की विदेश नीति “स्व-निर्देशित” है और कूटनीति का उद्देश्य किसी को खुश करना नहीं, बल्कि भारत के हितों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा, “भारत को अपने हितों में खड़ा होना चाहिए। आज दुनिया में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अधिक देशों के साथ सहयोग बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है। हमारे पास विकल्पों की स्वतंत्रता होना जरूरी है।
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