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13 साल बाद अखिलेश यादव फिर फतेहपुर सीकरी की दरगाह पहुंचे, राम मंदिर न जाने पर उठा सियासी सवाल

Akhilesh Yadav: उत्तर प्रदेश की सियासत में शनिवार का दिन खास रहा, जब 13 साल बाद पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव फतेहपुर सीकरी की मशहूर शेख सलीम चिश्ती दरगाह पहुंचे और चादर चढ़ाई।

Akhilesh Yadav: उत्तर प्रदेश की सियासत में शनिवार का दिन खास रहा, जब 13 साल बाद पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव फतेहपुर सीकरी की मशहूर शेख सलीम चिश्ती दरगाह पहुंचे और चादर चढ़ाई। लेकिन इसी के साथ एक सवाल भी तेज हो गया राम मंदिर का न्योता मिलने के बाद भी अखिलेश अयोध्या नहीं गए, मगर मुस्लिम मतदाताओं के बीच लोकप्रिय इस दरगाह तक पहुंचने का समय निकाल लिया। इस राजनीतिक एंगल ने विपक्ष और सोशल मीडिया दोनों में नई बहस छेड़ दी है।

13 साल बाद फिर फतेहपुर सीकरी पहुंचे अखिलेश यादव

शनिवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एक बार फिर आगरा के फतेहपुर सीकरी पहुंचे। 2012 में मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने यहां चादर चढ़ाई थी, और अब 13 साल बाद उन्होंने फिर से दरगाह पर हाजिरी दी, चादर चढ़ाई और मन्नत का धागा बांधा। उनके साथ पत्नी डिंपल यादव और पार्टी के एक वरिष्ठ राज्यसभा सांसद भी मौजूद थे।

Akhilesh Yadav: मुगल काल की ऐतिहासिक दरगाह 

Akhilesh Yadav
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अकबर द्वारा 1580-81 में निर्मित यह दरगाह आस्था और मुगल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। कहा जाता है कि सूफी संत शेख सलीम चिश्ती ने अकबर को उत्तराधिकारी का आशीर्वाद दिया था, जिसके बाद जन्मे बेटे सलीम का नाम ही आगे चलकर जहांगीर पड़ा। दरगाह के संगमरमर के स्तंभ, ऊंची चौकी और सूफी परंपरा इसे बेहद खास बनाते हैं। यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु मन्नतें लेकर पहुंचते हैं, और हर साल होने वाला उर्स इसे और खास बनाता है।

Akhilesh Yadav: राम मंदिर न जाने पर उठे सवाल

अखिलेश यादव को राम मंदिर के उद्घाटन के लिए औपचारिक न्योता मिला था, लेकिन वे अब तक अयोध्या नहीं गए। इसके उलट, मुस्लिम मतदाताओं के बीच खास पहचान रखने वाली चिश्ती दरगाह पर उनकी मौजूदगी ने राजनीतिक चर्चा को हवा दे दी है। सियासी गलियारों और सोशल मीडिया पर यह सवाल तेजी से उठ रहा है “दर्गाह जाने का समय है, लेकिन राम मंदिर जाने का अभी समय क्यों नहीं?”

विपक्ष का आरोप है कि अखिलेश यादव मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए दरगाह पहुंचते हैं, जबकि राम मंदिर की यात्रा को टालते रहे हैं। हालांकि सपा की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

क्यों 6 दिसंबर की तारीख भी चर्चा में ?

अखिलेश की दरगाह यात्रा 6 दिसंबर को हुई यह तारीख देश की राजनीति के लिए बेहद संवेदनशील मानी जाती है। इस वजह से भी उनकी यात्रा पर अलग नजरिए से सवाल खड़े हो रहे हैं और विपक्ष इसे राजनीतिक संदेश के रूप में देख रहा है।

https://x.com/yadavakhilesh/status/1997260906842247486?t=sgMH9bqoO6S8qIGYZEu4mA&s=19

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