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बिहार विधानसभा 2025 में कांग्रेस और भाजपा के इस उतार-चढ़ाव भरे सफर पर एक नजर

BJP & CONGRES HISTORY

BIHAR ELCTION 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के ताज़ा नतीजों ने हर उस आशंका को खारिज कर दिया है, जिसमें त्रिशंकु विधानसभा या 20 साल की सत्ता-विरोधी लहर की बात कही जा रही थी। राज्य की जनता ने एक बार फिर साफ जनादेश दिया है कि बिहार की बागडोर किसके हाथों में होगी। बिहार विधानसभा चुनाव ने यह एक बार फिर साबित कर दिया है की पब्लिक सब जानती है। इस महामुकाबले वो सबकुछ हुआ जो एक रण क्षेत्र में होता है। एक साथ कई सीटों की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है की जंगल राज से तो सुसाशन राज ही ठीक है भैया। आज कई बड़े प्लेटफॉर्म्स के एग्जिट पोल भी गलत साबित हुए क्यूंकि इतना उम्मीद तो खुद राजनीति के चाणक्य कहें जाने वाले अमित शाह ने तक नहीं लगाई थी।

एनडीए को मिला दो दशक का सबसे बड़ा जनादेश

BIHAR ELCTION 2025: 2025 का यह चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के लिए अब तक का सबसे मजबूत जनादेश माना जा रहा है। शाम तक आए रुझानों के अनुसार, यह महागठबंधन (राजद-कांग्रेस) के लिए सबसे बड़ी हारों में एक है। सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि भाजपा-जदयू गठबंधन ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइक रेट दर्ज किया है। रुझानों के मुताबिक दोनों दल 80-90 प्रतिशत सीटों पर जीत की ओर बढ़ रहे हैं। जो सीधे जनता की डोर को जीते हुए उम्मीदवारों से जोड़ रहा है।

कांग्रेस: 1952 की दिग्गज पार्टी से सिंगल डिजिट तक

BIHAR ELCTION 2025: आजादी के बाद बिहार की राजनीति में कांग्रेस का दबदबा था। 1952 में उसे 239 सीटें और 41.38 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है।2020 के चुनाव में पार्टी 9 प्रतिशत वोट पर सिमट गई थी और इस बार भी हालात बेहद खराब रहे। वोट प्रतिशत 10 प्रतिशत से नीचे गया है।

कांग्रेस के पतन की कहानी तीन चरणों में देखी जा सकती है:

1. 1980 का दशक: भाजपा का उभार
भाजपा के उभरने के बाद कांग्रेस का आधार गिरना शुरू हुआ।

2. 1990: लालू यादव युग की शुरुआत
1990 के चुनाव में जनता दल ने कांग्रेस को पहली बार पीछे धकेला।
जनता दल को 25.61 प्रतिशत वोट, जबकि कांग्रेस को 24.78 प्रतिशत वोट मिले।
यहीं से कांग्रेस की गिरावट का दूसरा दौर शुरू हुआ।

3. 2000 के बाद: नीतीश कुमार के उभार ने दिया अंतिम झटका
2000 में कांग्रेस को 11 प्रतिशत वोट और 23 सीटें मिलीं।
2005 में यह घटकर 5 प्रतिशत वोट और 10 सीटें रह गईं।
2010 में कांग्रेस सिर्फ 4 सीटों (8 प्रतिशत वोट शेयर) पर सिमट गई।
हिंदी पट्टी में कभी अजेय रही यह पार्टी आज बिहार में पुनरुत्थान के बेहद कठिन मोड़ पर खड़ी है।

भाजपा: 8 प्रतिशत वोट शेयर से आज के न भेदने वाले किले तक

BIHAR ELCTION 2025: भाजपा ने 1980 में 8 प्रतिशत वोट और 21 सीटों से बिहार में अपनी चुनावी यात्रा शुरू की थी। 2010 तक उसका वोट शेयर लगातार बढ़ता रहा। 2014 में नरेंद्र मोदी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा के वोट शेयर में 8 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि दर्ज की गई। इसके बाद से पार्टी का ग्राफ लगातार चढ़ता गया और आज भाजपा बिहार की सबसे मजूबत या कहे तो सबसे ज्यादा सीट्स लाने वाली पार्टी बन गई है।

महिला वोटरों ने बढ़ाया एनडीए का जनाधार

BIHAR ELCTION 2025: 2025 के चुनाव में बिहार ने 67.13 प्रतिशत मतदान दर्ज किया है, जो राज्य के इतिहास में सबसे अधिक है। महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से 9 प्रतिशत अधिक रही। अब चाहे आप इसे 10, 000 रूपये प्रतिमाह का कमाल कहिये या फिर कुछ और पर तेजस्वी का मकर संक्रांति पर अतरिक्त एक मुश्त 30,000 रूपये देना उन्हें रास नहीं आया।

बिहार ने दोहराया इतिहास

BIHAR ELCTION 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने इतिहास दोहरा दिया है। इससे पहले बिहार में ऐसा भारी मतदान 1977 में देखने को मिला था, जब कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में जनता पार्टी ने 42.68 प्रतिशत वोट के साथ शानदार जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 57 सीटों पर सिमट गई थी। उस समय आज की लड़ रही यह पार्टिया नहीं थी पर हां उस समय की कांग्रेस आज की कांग्रेस से मजबूत जरूर थी। जिसका धीरे -धीरे पतन शुरू हुआ।

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