Allahabad High Court News: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा विवाद एक बार फिर अदालत की चौखट पर गूंजा । इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को इस बहुचर्चित मामले पर करीब डेढ़ घंटे तक सुनवाई चली। सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की ओर से अपने-अपने तर्क रखे गए। यह मामला धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है, इसलिए हाईकोर्ट स्वयं इसकी निगरानी में सुनवाई कर रहा है।
एफिडेविट दाखिल करने के दिये निर्देश
Allahabad High Court News: इस दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल अमेंडमेंट एप्लीकेशन पर मुख्य रूप से बहस हुई। अदालत ने इस पर विस्तृत सुनवाई करते हुए पक्षकारों को अपने लिखित जवाब दाखिल करने के निर्देश दे दिए है । वहीं, माता रुक्मिणी देवी की वंशज नीतू चौहान की ओर से रिज्वाइंडर एफिडेविट भी दाखिल किया गया है। जिसे अदालत ने रिकॉर्ड पर ले लिया है । इसके अलावा, अदालत ने पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को भी निर्देश दिया है कि वह अगली सुनवाई तक अपना जवाब दाखिल करे।
अगली सुनवाई हुई तय
Allahabad High Court News: अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 दिसंबर तय की है। अब 12 दिसंबर को दोपहर 2 बजे जस्टिस अवनीश सक्सेना की सिंगल बेंच इस संवेदनशील प्रकरण पर सुनवाई करेगी। मामले से जुड़े अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह ने बताया कि अगली सुनवाई के बाद अदालत इस केस के प्रमुख बिंदु (इश्यूज़) तय कर सकती है, जिनके आधार पर आगे की सुनवाई की रूपरेखा बनेगी।
जानिए पूरा मामला
Allahabad High Court News: गौरतलब है कि यह विवाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में अक्टूबर 2023 से विचाराधीन है। इस मामले में विभिन्न हिन्दू पक्षों द्वारा दायर कुल 18 सिविल वाद शामिल हैं। इन याचिकाओं में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मूल भूमि पर अतिक्रमण कर बनाई गई है। मंदिर पक्ष ने अदालत से यह भी मांग की है कि जन्मभूमि की जमीन मंदिर ट्रस्ट को वापस सौंपी जाए और वहां मंदिर के जीर्णोद्धार का मार्ग प्रशस्त किया जाए।
इसके अलावा, याचिकाओं में शाही ईदगाह मस्जिद के निर्माण को ऐतिहासिक दृष्टि से जांचने और उसकी सत्यता जानने के लिए एएसआई सर्वे की मांग भी की गई है। अदालत ने पहले ही इस पर एएसआई को नोटिस जारी किया था और अब 12 दिसंबर की सुनवाई में एएसआई का पक्ष भी सामने आने की संभावना है।
मंदिर पक्ष का बयान आया सामने
Allahabad High Court News: मंदिर पक्ष का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगज़ेब के आदेश पर मूल श्रीकृष्ण मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद का निर्माण कराया गया था। वहीं, मस्जिद पक्ष का तर्क है कि यह स्थल वक्फ संपत्ति है और मंदिर पक्ष के दावे निराधार हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट इस पूरे विवाद की सुनवाई सीधे अपने स्तर पर कर रहा है, निचली अदालत को हस्तांतरित नहीं किया गया है। यह प्रक्रिया अयोध्या विवाद की तर्ज पर अपनाई गई है, ताकि सभी तथ्यों और साक्ष्यों की गहन जांच एक ही मंच पर की जा सके।
12 दिसंबर पर टिकी सबकी निगाहे
Allahabad High Court News: अदालत में इस समय दोनों पक्षों के साथ-साथ राज्य सरकार, एएसआई और सुन्नी वक्फ बोर्ड भी पक्षकार बने हुए हैं। अब सभी की निगाहें 12 दिसंबर की सुनवाई पर टिकी हैं। अब यह उम्मीद की जा रही है कि अदालत इस लंबे समय से चले आ रहे विवाद के प्रमुख बिंदु तय कर देगी, जिससे मामले के समाधान की दिशा में एक ठोस कदम बढ़ सकेगा।
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