Babri Masjid: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। हाल ही में उन्होंने सार्वजनिक रूप से ‘बाबरी मस्जिद’ नाम से एक धार्मिक ढांचे की नींव रखी, जिसके बाद प्रदेश ही नहीं, देशभर की राजनीति में हलचल बढ़ गई है।
कौन हैं हुमायूं कबीर?
वे मुर्शिदाबाद जिले से विधायक रहे हैं और टीएमसी के कद्दावर मुस्लिम चेहरा माने जाते थे। पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में टीएमसी ने उन्हें कुछ समय पहले निलंबित किया था। कबीर ने खुद को “साम्प्रदायिक सौहार्द” का समर्थक बताया है, लेकिन उनकी हालिया गतिविधियों पर विवाद बढ़ा है।
Babri Masjid: उन्होंने ‘बाबरी मस्जिद’ की नींव क्यों रखी?
हुमायूं कबीर का दावा है कि उन्होंने यह कदम मुसलमानों की भावना के सम्मान और “धार्मिक स्वतंत्रता” के अधिकार के तहत उठाया है। खुद कबीर का कहना है कि: “मैंने किसी के खिलाफ कुछ नहीं किया। जहां मंदिर-मस्जिद बनते हैं, वहां बाबरी नाम रखने में दिक्कत क्यों?”
राजनीतिक विरोधी क्या मानते हैं?
यह कदम जागरूक राजनीति का हिस्सा है। कबीर जानबूझकर हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। बाबरी मस्जिद नाम का इस्तेमाल कर वे धार्मिक भावनाओं को भड़काने की रणनीति अपना रहे हैं।
Babri Masjid: विवाद क्यों भड़का?
‘बाबरी मस्जिद’ नाम देशभर में एक संवेदनशील मुद्दा है। अयोध्या विवाद खत्म होने और राम मंदिर निर्माण के बाद इस नाम का उपयोग राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील माना जाता है। विरोधियों का कहना है कि ऐसा करके कबीर शांति वातावरण को खराब करना चाहते हैं।
सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया
बीजेपी नेताओं ने राज्य सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। टीएमसी अभी दूरी बनाए हुए है, क्योंकि कबीर पहले ही निलंबित सदस्य हैं।मुस्लिम संगठनों में कुछ ने समर्थन दिया तो कुछ ने इसे “अनावश्यक राजनीतिक कदम” बताया।
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