Delhi News: जैसे-जैसे दिल्ली चरम सर्दी की तरफ बढ़ रहीर है, वैसे-वैसे घरहीनों के रा़त्रि पड़ाव बुरी दशा में हैं। दिल्ली में लगभग 326 रात्रि पड़ाव हैं, पर समस्यायें वहां रहने वालों की गंभीर है, खुले में रहनेवाले पशुओं से बदतर! देखिये समस्याएं- नंगे फर्स पर वे सोते हैं, जो बुरी तरह से गंद से भरे हैं। पूरे फर्स चुहवों के खेल के मैदान से दिखते हैं। उसी तरह घुसलखाने नाम मात्र के हैं, जो हैं भी, वह गंदगी के ढ़ेरों से भरे हैं।
पानी भी नसीब में नहीं
इन रात्रि पड़ावों में 20 हजार लोग रहते हैं। यहां कहने का कारण यह है कि जब अच्छे-खासे घरों के लोग भारी हवा पानी के प्रदूषण को झेल रहे हैं, तब इन गुमनाम गृहबिहीन लोग की दशा देखते बनती है। बहुत सारे सर्वेक्षण दिल्ली मेरी दिल्ली के हैं, वे सब देश की राजधानी के लिए धब्बे की तरह हैं। इस पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। हाल ही में दिल्ली मे नगर निगम के खाली सीटों पर चुनाव हुए, उसमें भी कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत नहीं पा सकी, ऐसी स्थिति में महानगर की व्यवस्था भी अधर में लटकी हुई है। ऐसी परिस्थियों में क्या विवेक से सभी दल मिलकर दिल्ली को संवार नहीं सकते। तरह-तरह की गंदगी यहां-वहां पड़ी होती है। इस पर सभी पार्टियों की जिम्मेदारी है कि वह जनता की कठिनाइयों को समझ कर कार्य करे, आपस में एक रचनात्मक सोच के साथ काम करें। यह सभी दिल्लीवासियों का शहर ही नहीं, देश का ताज भी है।
देश की राजधानी सिर्फ भारतीयों के लिए ही नहीं है। यह अंतर्राष्टीय स्तर पर भी विश्व में अपना स्थान बनाती है, इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि पार्टियों के नीतिगत मन मुटाव होने के बावजूद भी ऐसे विकास के मुद्दों को न टाला जाए। देश अपना है, दिल्ली अपनी है, इसलिए इसको संवारने की जिम्मेदारी सभी दलों की है। दिल्ली सभी के दिलों का दिल होना चाहिए।
लेखक: भगवती प्रसाद डोभाल
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