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Delhi Politics: गेस्ट हाउस में बदला जाएगा पूर्व CM का बंगला, दिल्ली सरकार का ये है नया प्लान…

Delhi Politics

Delhi Politics: दिल्ली की सियासत में लंबे समय तक चर्चा और विवादों का केंद्र बना सिविल लाइंस स्थित फ्लैगस्टाफ रोड का बंगला अब जल्द ही एक नई भूमिका में नजर आ सकता है। दिल्ली सरकार ने इस बंगले को राज्य अतिथि गृह (State Guest House) में तब्दील करने की योजना बनाई है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य इस सरकारी संपत्ति का जनहित में उपयोग करना है, जो फिलहाल खाली पड़ा है। यह वही बंगला है जिसे पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए आधिकारिक निवास के तौर पर तैयार किया गया था, लेकिन इसका महंगा नवीनीकरण विपक्ष के निशाने पर आ गया था। अब सरकार इसे आम जनता और सरकारी मेहमानों के लिए उपयोगी बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

बंगले में बनेगा कैफेटेरिया

Delhi Politics: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्ताव के तहत बंगले परिसर में एक सार्वजनिक कैफेटेरिया या कैंटीन भी शुरू की जाएगी, जहां पारंपरिक भारतीय व्यंजन परोसे जाएंगे। यह कैफेटेरिया न सिर्फ अतिथियों, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी खुला रहेगा – ठीक वैसे ही जैसे देश के अन्य राज्यों के भवनों में देखने को मिलता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह योजना अंतिम रूप में है। इस बंगले में पार्किंग, वेटिंग एरिया और अन्य जरूरी सुविधाएं विकसित की जाएंगी, ताकि यह एक पूर्ण विकसित गेस्ट हाउस के रूप में कार्य कर सके। जैसे अन्य राज्यों के गेस्ट हाउस में सरकारी अधिकारी या मंत्री निर्धारित शुल्क पर रुकते हैं, ठीक उसी तरह यह बंगला भी शुल्क आधारित ठहराव केंद्र के रूप में उपयोग किया जाएगा। हालांकि, योजना को लागू करने से पहले अंतिम स्वीकृति उच्च स्तर से मिलना बाकी है।

सीबीआई जांच के दायरे में है यह बंगला

Delhi Politics: गौरतलब है कि इस सरकारी आवास को लेकर 2022 में नवीनीकरण में कथित अनियमितताओं के आरोप लगे थे। इसके बाद उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के निर्देश पर विजिलेंस विभाग ने जांच शुरू की थी, जो अब सीबीआई के पास है। यह शिकायत भाजपा नेता और उस समय दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे विजेंद्र गुप्ता ने दर्ज कराई थी। इस बंगले को लेकर उस समय विपक्ष ने तीखा हमला बोला था और इसे शीश महल करार दिया था। भाजपा ने उस वक्त कहा था कि उनकी पार्टी का कोई मुख्यमंत्री ऐसे बंगले में नहीं रहेगा। अब सरकार का कहना है कि यह निर्णय विवादित सरकारी संपत्ति को सकारात्मक और सार्वजनिक उपयोग में लाने की दिशा में एक ठोस पहल है।

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