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Domestic Savings India 2025: ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और टैक्स रिफॉर्म्स बना रहे भारत में घरेलू बचत बढ़ाने का माहौल : पंकज चौधरी

घरेलू बचत में वृद्धि

Domestic Savings India 2025: केंद्र की ओर से सोमवार को दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में घरेलू बचत 2022-23 के 50.1 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 54.61 लाख करोड़ रुपए हो गई, जो कि एक वर्ष में 4.51 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि को दर्शाता है।

घरेलू बचत में वृद्धि
घरेलू बचत में वृद्धि

Domestic Savings India 2025: सरकारी नीतियां बना रही बेहतर निवेश माहौल

Domestic Savings India 2025:  केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी 2025 के अनुसार, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में घरेलू बचत 2022-23 में 18.6 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 18.1 प्रतिशत हो गई।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्किलिंग, रोजगार सृजन, इंक्लूसिव ह्युमन रिसोर्स डेवलपेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने से घरेलू आय और बचत को बढ़ावा देने के लिए एक बेहतर एनवायरमेंट तैयार होता है।

Domestic Savings India 2025: घरेलू बचत में वृद्धि
घरेलू बचत में वृद्धि

परिवारों के वित्तीय संपत्ति और देनदारियां सुधरीं

Domestic Savings India 2025:  उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि 12 लाख रुपए तक की वार्षिक आय पर टैक्स से छूट, हालिया जीएसटी रेट रेशनलाइजेशन जैसे कारकों से घरेलू उपभोग, बचत और निवेश में उछाल आने की उम्मीद है।

वित्त राज्य मंत्री के अनुसार, केंद्र सरकार घरेलू बचत सहित महत्वपूर्ण इकोनॉमिक पैरामीटर पर बारीकी से नजर रखती है। साथ ही, देश के आर्थिक विकास और राजकोषीय स्थिरता पर इनके प्रभावों को भी ध्यान में रखा जाता है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था के मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल मजबूत बने हुए हैं, जिन्हें मजबूत घरेलू मांग, कम महंगाई, सुधरती कॉरपोरेट बैंलेस शीट और सतत राजकोषीय अनुशासन से समर्थन मिल रहा है।”

मजबूत आर्थिक फंडामेंटल से विकास को बल

Domestic Savings India 2025:  इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते जानकारी देते हुए कहा था कि वित्त वर्ष 2025 में परिवारों के नेट फाइनेंशियल एसेट्स बढ़कर 9.9 लाख करोड़ रुपए और जीडीपी का 6 प्रतिशत हो गए हैं। जबकि वित्त वर्ष 2024 में परिवारों के नेट फाइनेंशियल एसेट्स जीडीपी का 5.3 प्रतिशत थे। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2025 में परिवारों की वित्तीय देनदारियां तेजी से गिरकर 15.7 लाख करोड़ रुपए और जीडीपी का 4.7 प्रतिशत रह गईं।

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