ED NEWS: रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी) के चेयरमैन अनिल अंबानी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बीच फेमा उल्लंघन मामले में तनाव बढ़ता दिख रहा है। जयपुर–रींगस हाईवे परियोजना से जुड़े कथित विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम उल्लंघन की जांच के तहत ईडी ने उन्हें 14 नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह अब तक तारीखों पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुए।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा बयान देने को तैयार
अंबानी समूह ने सोमवार को बयान जारी कर स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी व्यक्तिगत रूप से पेश होने के बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बयान देने को तैयार हैं। प्रवक्ता ने कहा कि ईडी का समन केवल बयान रिकॉर्डिंग से जुड़े औपचारिक मामलों को लेकर है। “वह किसी भी उपयुक्त समय पर वर्चुअल अथवा रिकॉर्डेड वीडियो के जरिए अपने बयान की रिकॉर्डिंग के लिए तैयार हैं,” बयान में कहा गया।
ED NEWS: कॉंट्रैक्ट घरेलू विदेशी मुद्रा लेन-देन ही नहीं’
समूह की दलील है कि संबंधित सड़क परियोजना का कॉन्ट्रैक्ट पूरी तरह घरेलू था और इसमें किसी विदेशी मुद्रा लेन-देन की बात नहीं उठती। बयान के अनुसार परियोजना का ईपीसी अनुबंध रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को मिला था, जिसका परिचालन पिछले चार वर्षों से एनएचएआई खुद कर रहा है।
ED NEWS: अंबानी की ओर से यह भी रेखांकित किया गया कि वह अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक 15 वर्षों तक रिलायंस इंफ्रा के गैर-कार्यकारी निदेशक रहे, और इस अवधि में दैनिक संचालन उनकी जिम्मेदारी में नहीं था।
ED NEWS: कंपनी रकम बाहर भेजी गई
दूसरी ओर, ईडी की 3 नवंबर की विज्ञप्ति में दावा किया गया था कि परियोजना से जुड़ा मामला सिर्फ अनुबंध विवाद नहीं बल्कि कथित भ्रष्टाचार से अर्जित धन को शेल कंपनी के माध्यम से दुबई भेजने का है। एजेंसी ने पिछले दिनों धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 7,500 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क करने का भी ऐलान किया था। जांच में हवाला चैनल के उपयोग की बात भी कही गई।
क्या आगे?
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ईडी अनिल अंबानी की वर्चुअल पेशी पर सहमत होगी या व्यक्तिगत उपस्थिति पर जोर देगी। हालांकि, अंबानी समूह लगातार यह दावा कर रहा है कि मामला “पुराना और तकनीकी” है, जबकि एजेंसी इसे बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता की कड़ी के रूप में देख रही है।
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