Meerut News: लोकसभा के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार को मेरठ से बीजेपी सांसद और प्रसिद्ध अभिनेता अरुण गोविल ने एक अहम मुद्दा उठाते हुए देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में नई सोच पेश की। उन्होंने मांग की कि जैसे मंदिरों चर्चों गुरुद्वारों स्कूल-कॉलेजों और अस्पतालों में सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे लगाए गए हैं वैसे ही मस्जिदों और मदरसों में भी कैमरा निगरानी व्यवस्था अनिवार्य की जाए। अरुण गोविल ने स्पष्ट किया कि यह सुझाव किसी धर्म के खिलाफ नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और पारदर्शिता के हित में है। उन्होंने कहा कि जब अन्य धार्मिक और सामाजिक स्थलों को सुरक्षा के दायरे में लाया गया है तो मस्जिदें और मदरसे भी उसी श्रेणी में आते हैं जहाँ प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं।
सुरक्षा किसी धर्म या पक्ष की नहीं होती
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बोलते हुए सांसद गोविल ने कहा कि सुरक्षा न धार्मिक होती है न पक्षपाती। यह हमेशा राष्ट्रहित और मानव हित में होती है। उन्होंने बताया कि CCTV लगाने से न केवल अपराधों पर अंकुश लगता है बल्कि यह पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित करता है। उन्होंने आगे कहा कि देशभर में अपराध नियंत्रण और सार्वजनिक सुरक्षा की दिशा में CCTV का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके कारण न सिर्फ अवैध गतिविधियों पर निगरानी आसान हुई है बल्कि किसी अप्रिय घटना के बाद साक्ष्य जुटाने में भी मदद मिलती है।
Meerut News: जब मक्का में संभव है तो भारत में क्यों नहीं
अरुण गोविल ने अपने तर्क के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय उदाहरण देते हुए कहा कि इस्लाम धर्म के जन्मस्थान मक्का में भी CCTV कैमरे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा यदि सऊदी अरब जैसे इस्लामी देश में सुरक्षा के तहत धार्मिक स्थलों पर कैमरे लगाए जा सकते हैं तो भारत में समान सुरक्षा मानक लागू करने में संकोच नहीं होना चाहिए। उनका कहना था कि केंद्र सरकार को एक राष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा नीति तैयार करनी चाहिए जिसके तहत सभी धार्मिक शैक्षणिक और सामुदायिक स्थलों पर CCTV व्यवस्था कानूनन अनिवार्य की जाए।
सुरक्षा नीति पर राष्ट्रीय बहस की मांग
सांसद ने यह भी सुझाव दिया कि CCTV से जुड़ी सुरक्षा नीति को केवल धार्मिक स्थानों तक सीमित न रखकर सभी बड़े सार्वजनिक स्थलों तक विस्तारित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह नीति देश के 140 करोड़ नागरिकों की सुरक्षा को एक नए स्तर पर ले जाने का कदम होगी। गोविल का यह बयान संसद में आते ही राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोग इसे समान सुरक्षा मानकों की दिशा में सकारात्मक कदम बता रहे हैं जबकि कुछ इसे धार्मिक संस्थानों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मान रहे हैं।
Report By: यश मित्तल







