New Delhi News: लोकसभा में सोमवार का दिन पूरी तरह ऐतिहासिक बहस के नाम रहा। ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा बयान दिया, जिसने पूरे सदन में गर्म बहस छेड़ दी। पीएम मोदी ने दावा किया कि आजादी के समय वंदे मातरम् को लेकर जो राजनीतिक दबाव बनाया गया, उसने गीत के मूल रूप को बदल दिया और इसके पीछे मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना का कड़ा विरोध था।
मोदी बोले वंदे मातरम् ने देश की आत्मा को जगाया
अपने भाषण की शुरुआत भावुक अंदाज़ में करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं था, बल्कि वह आवाज़ थी जिसने करोड़ों भारतीयों में स्वतंत्रता की चिंगारी भड़काई।उन्होंने कहा कि यह गीत हिंदुस्तान को सिर्फ एक ज़मीन नहीं, बल्कि मां का स्वरूप बताता था यही भावना आंदोलन को मजबूत बनाती रही।
New Delhi News: 1937 में जिन्ना के विरोध के बाद कांग्रेस ने कदम पीछे खींचे
प्रधानमंत्री मोदी ने इतिहास के संदर्भ में कहा कि 1937 में मुस्लिम लीग ने वंदे मातरम् के कुछ अंशों पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि मोहम्मद अली जिन्ना ने गीत को धार्मिक रूप से विवादित बताते हुए इसका विरोध किया, और कांग्रेस नेतृत्व ने इस दबाव के आगे झुकते हुए गीत के कुछ हिस्सों को हटाने पर सहमति दे दी।मोदी ने इस फैसले को “ऐतिहासिक गलती” बताया और कहा कि उस समय लिया गया समझौता आगे चलकर विभाजनकारी मानसिकता को बढ़ावा देने वाला साबित हुआ।
राष्ट्रीय प्रतीकों पर दबाव स्वीकृत करना देश को कमजोर करता है
पीएम मोदी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके प्रतीकों और सांस्कृतिक विरासत से बनती है। जब राजनीतिक हित इन प्रतीकों पर हावी हो जाएँ, तो राष्ट्र की एकता और आत्मविश्वास दोनों प्रभावित होते हैं।उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् के मूल स्वरूप से समझौता उसी दौर की दुर्बल मानसिकता का परिणाम था, जिसने बाद में विभाजन की राह मजबूत की। वंदे मातरम् धार्मिक पाठ नहीं, भारत मां के प्रति भावों की अभिव्यक्ति मोदी ने स्पष्ट कहा कि वंदे मातरम् को गलत समझा गया। यह गीत किसी एक समुदाय के लिए नहीं था, बल्कि पूरे देश के लिए समर्पण की भावना का प्रतीक था। बंगाल से लेकर दक्षिण भारत तक इस गीत ने स्वतंत्रता सैनिकों में नई ऊर्जा और साहस भरा।
New Delhi News: विपक्ष ने पलटवार करते हुए कहा सरकार इतिहास को तोड़-मरोड़ रही है
प्रधानमंत्री के आरोपों के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया।कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि वंदे मातरम् हमेशा स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र रहा और कांग्रेस ने ही इसे राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया। विपक्ष का आरोप है कि सरकार पुराने ऐतिहासिक बिंदुओं को राजनीतिक रंग देकर जनता को भटकाने की कोशिश कर रही है।
written by: Nishi sharma
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