Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने विपक्ष को छेड़ते हुए कहा कि संसद में ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए, आगे कहा गया कि संसदीय कार्य पर नहीं हो हार की हताशा का असर, सत्ता पक्ष को भी जीत के अहंकार से बचना चाहिए बात एकदम सही थी, पर विपक्ष का असली मुद्दा फिर था, क्योंकि बिहार के चुनाव में मतदाताओं को पहचानने के लिए जो नियम चुनाव आयोग ने बनाए उस पर सहमति नहीं थी। कारण नागरिकता को लेकर विवाद ने तूल पकड़ा, मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया इस पर काफी विवाद हुआ, फिर कोर्ट ने फैसला दिया
- मतदाता सूची स्थाई नहीं रह सकती समय-समय पर संशोधन होने जरूरी है, फिर संशोधन होना जरूरी है ऐसा SIR इस संदर्भ में उचित है। कोर्ट ने माना कि जब SIR में पहचान के लिए दस्तावेजों की संख्या बढ़कर 7 से 11 कर दी गई है, तब यह मतदाता के अनुकूल है। यानी इसको मतदाता को निकालने की बजाय उन्हें शामिल करने का प्रयास माना जाना चाहिए।
- साथ ही कोर्ट ने यह भी कहकर स्पष्ट किया कि वोटर आईडी कार्ड और आधार कार्ड, जिनके धारकों के लिए नाम काटने का डर था को पहचाने के वेध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।
फिर भी कोर्ट ने आदेश दिया कि यदि SIR के दौरान बड़े पैमाने पर निष्कासन हुआ है। जैसे- जिंदा आदमी को मृतक बताया गया या नाम बिना उचित सूचना के हटाए गए। तो यह हस्तक्षेप कर सकती है।
लेखक – भगवती प्रसाद डोभाल







