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बेगूसराय में राहुल गांधी का तालाब एपिसोड बना सियासी मुद्दा, भाजपा ने ली चुटकी

बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य का राजनीतिक माहौल अब लहरों की तरह गोते लगा रहा है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी इन दिनों लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। रविवार को उन्होंने बेगूसराय में चुनावी सभा को संबोधित किया, जिसके बाद वे वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के साथ एक तालाब में पहुंचे। यहां उन्होंने न सिर्फ डुबकी लगाई बल्कि मछली भी पकड़ी। इस अनोखे अंदाज़ ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी।

भाजपा ने सोशल मीडिया पर कसा तंज

राहुल गांधी के तालाब में उतरने और मछली पकड़ने की तस्वीरें सामने आते ही भाजपा ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पेज से चुटकी लेते हुए लिखा

“बिहार का पोखरा भी किसी स्विमिंग पूल से कम साफ नहीं है। राहुल जी ने पूरे भारत को दिखा दिया है कि बिहार में ‘जल-जीवन-हरियाली’ में बहुत बढ़िया काम हुआ है। जल की गुणवत्ता शानदार है और मछली उत्पादन का आंकड़ा सिर्फ कागज़ी नहीं। बिहार ने मछली उत्पादन में बड़ा उछाल लिया है। पिछली बार सड़क यात्रा में सड़कों की गुणवत्ता दिखाई थी, अब पानी की गुणवत्ता भी दिखा दी। विपक्ष को धन्यवाद।”


भाजपा का यह बयान साफ तौर पर कांग्रेस और राहुल गांधी पर राजनीतिक तंज के रूप में देखा जा रहा है।
इसके पहले राहुल गांधी ने पीएम मोदी को एक जनसभा में वोट के लिए नाचने को भी तैयार होने वाला बता दिया था जिसके बाद इससे भाजपा समर्थकों ने खूब घमासान मचाया था जो मीडिया में भी चर्चा का विषय बना रहा पर अब राहुल गांधी ने वोटर्स को आकर्षित करने के लिए तालाब में डुबकी लगाते हुए मछली को पकड़ा है ।
जिसके बाद उन्होंने एक गरीब परिवार के घर जाकर स्नान भी किया।

यह कोई पहली बार नहीं की जब कांग्रेस की और से  इस तरह के बयान सामने आए हो इसके पहले सोनिया गांधी ने मौत का सौदागर जैसे शब्दों का प्रयोग था जिसके बाद उनके  हार्डकोर समर्थक बेहद नाराज हो गए थे।

इतना ही नहीं महागठबंधन ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया प्लेटफार्म से राहुल गांधी की पोखरा के तालाब में डुबकी लगाते और मछली पकड़ते हुए तस्वीर साझा की जिसमें मछुआरों के लिए किए गए विशेष वादे गिनाए गए

अब जानिए महागठबंधन के वादे


इसी बीच महागठबंधन ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर मछुआरा समुदाय के लिए कई घोषणाएं की हैं

प्रतिबंधित अवधि (3 माह) के दौरान प्रत्येक मछुआरा परिवार को ₹5,000 की सहायता
मत्स्य पालन बीमा योजना और बाज़ार उपलब्धता सुनिश्चित करना
हर प्रखंड में मछली बाजार, प्रशिक्षण केंद्र और अनुदान योजना शुरू करना
जलाशयों का पुनर्जीवन और आवंटन में पारंपरिक मछुआरों को प्राथमिकता देना

इन घोषणाओं के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी का तालाब में उतरना इसी मतदाता वर्ग को साधने की रणनीति का हिस्सा था? या वास्तव में वे ऐसा करके उनके काम को बढ़ा बनाने चाहते थे अब बात जो भी हो पर एनडीए ने मोर्चा खोलते हुए राहुल की सियासी नाव को भवर में उलझाने की कोशिश जरूर की है ।

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