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RAKESH SINHA के दिल्ली और बिहार में वोट डालने पर मचा सियासी बवाल

RAKESH SINHA

RAKESH SINHA पर दो राज्यों में वोट डालने का आरोप लगने के बाद सियासी बवाल मच गया है। विपक्षी दलों ने इसे “मतदानी धोखाधड़ी” करार दिया है, जबकि सिन्हा ने खुद पर लगे सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है।

दिल्ली और बिहार में वोट डालने का आरोप

विवाद तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें वायरल हुईं — पहली तस्वीर में राकेश सिन्हा दिल्ली विधानसभा चुनाव (फरवरी 2025) के दौरान मतदान करते दिखे, जबकि दूसरी तस्वीर में वे हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव (नवंबर 2025) में वोट डालते नजर आए।विपक्ष का आरोप है कि सिन्हा ने 10 महीनों के भीतर दो अलग-अलग राज्यों में मतदान किया, जो चुनाव आचार संहिता और निर्वाचन कानून का उल्लंघन है।
आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस दोनों ने चुनाव आयोग से शिकायत कर इस मामले की जांच और कार्रवाई की मांग की है।

विपक्ष का हमला — बीजेपी नेता ने की वोट चोरी

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह “वोट चोरी का मामला” है और भाजपा को जवाब देना चाहिए कि एक व्यक्ति दो राज्यों में कैसे वोट डाल सकता है।
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “अगर आम नागरिक ऐसा करे तो एफआईआर दर्ज होती है, लेकिन बीजेपी नेता के लिए कानून अलग क्यों?”विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा “राजनीतिक प्रभाव” का इस्तेमाल कर ऐसे मामलों को दबाने की कोशिश कर रही है।

सिन्हा का जवाब — नाम ट्रांसफर कराया था

वहीं राकेश सिन्हा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को साफ तौर पर खारिज किया है। उन्होंने कहा कि उनका नाम पहले दिल्ली की मतदाता सूची में था, लेकिन बिहार में राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता बढ़ने के कारण उन्होंने अपना नाम बेगूसराय जिले के मनसेरपुर गांव में ट्रांसफर करा लिया था। सिन्हा ने कहा, “मैंने कानून के मुताबिक प्रक्रिया पूरी की थी। मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह राजनीति से प्रेरित हैं। कुछ लोग मेरी छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं।”

चुनाव आयोग से जांच की मांग

कांग्रेस और आप ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वह मतदाता सूची में राकेश सिन्हा के नाम के ट्रांसफर की प्रक्रिया की जांच करे। अगर यह पाया गया कि नाम एक ही समय में दोनों जगह दर्ज था, तो कानूनी कार्रवाई की जाए।इधर भाजपा ने कहा कि विपक्ष झूठे आरोपों से जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है।

सियासी बहस तेज़

इस विवाद ने बिहार चुनाव के बीच सियासी तापमान और बढ़ा दिया है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि चुनाव आयोग इस मामले पर क्या रुख अपनाता है — क्या इसे तकनीकी गलती माना जाएगा या यह कानूनी कार्रवाई का रूप लेगा।

 

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