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वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज मिसाइल का परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने ओडिशा तट स्थित चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से 12 और 13 सितंबर को दो दिन लगातार सतह से हवा में मार करने वाली वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज मिसाइल (वीएल-एसआर-सैम) के सफल उड़ान परीक्षण किए। यह परीक्षण एक भूमि-आधारित ऊर्ध्वाधर लांचर से किए गए, जिसमें उच्च गति से उड़ रहे कम ऊंचाई वाले हवाई लक्ष्य को निशाना बनाया गया। मिसाइल प्रणाली ने सफलतापूर्वक लक्ष्य का पता लगाया और उसे नष्ट कर दिया। दूसरे दिन के परीक्षण में, मिसाइल ने समुद्र में संभावित खतरे की स्थिति का अनुकरण करते हुए कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए एक उच्च गति वाले हवाई लक्ष्य को नष्ट कर दिया, जिससे इसकी सटीकता और लक्ष्य को नष्ट करने की क्षमता का प्रदर्शन हुआ।

इन परीक्षणों का मुख्य उद्देश्य प्रॉक्सिमिटी फ्यूज और सीकर जैसे हथियार प्रणाली के अद्यतन तत्वों की पुष्टि करना था। परीक्षणों के दौरान, आईटीआर चांदीपुर में तैनात रेडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमीटरी जैसे उपकरणों द्वारा प्रणाली की निगरानी और सत्यापन किया गया।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों उड़ान परीक्षणों की सफलता के लिए डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और संबंधित टीमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह आधुनिक प्रौद्योगिकी से सुसज्जित मिसाइल सशस्त्र बलों की तकनीकी क्षमता को और मजबूत करेगी। रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष, डॉ. समीर वी. कामत ने भी परीक्षणों में शामिल टीमों को बधाई दी और कहा कि यह प्रणाली भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी और एक शक्तिशाली बल गुणक के रूप में कार्य करेगी।

वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (वीएल-एसआर-सैम) डीआरडीओ द्वारा विकसित एक त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली प्रणाली है। मिसाइल मिड-कोर्स उड़ान के दौरान फाइबर-ऑप्टिक जाइरोस्कोप आधारित इनर्शियल नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करती है, जबकि टर्मिनल चरण में सक्रिय रेडार होमिंग तकनीक का इस्तेमाल होता है। मिसाइल में लॉक ऑन बिफोर लॉन्च (एलओबी) और लॉक ऑन आफ्टर लॉन्च (एलओएएल) की क्षमता है, साथ ही इसे मिड-कोर्स अपडेट के लिए डेटा लिंक के माध्यम से सूचना मिलती है। वीएल-एसआर-सैम का उद्देश्य भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर पुराने बराक-1 मिसाइल सिस्टम को प्रतिस्थापित करना है। इसे भारतीय वायुसेना की कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के रूप में भी उपयोग किया जाएगा।

वीएल-एसआर-सैम अस्त्र मार्क-1 एयर-टू-एयर मिसाइल पर आधारित है, जिसमें चार शॉर्ट-स्पैन लॉन्ग-कॉर्ड क्रूसिफॉर्म पंख होते हैं, जो वायुगतिकीय स्थिरता प्रदान करते हैं। इसमें ऊर्ध्वाधर प्रक्षेपण और धुआं रहित निकास के लिए अतिरिक्त जेट वेन संचालित थ्रस्ट वैक्टर नियंत्रण तकनीक भी शामिल है, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया समय संभव होता है। इसकी डिजाइन का मुख्य उद्देश्य नौसेना प्लेटफार्मों के लिए क्षेत्र और बिंदु-रक्षा क्षमता प्रदान करना था। प्रत्येक वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (वीएलएस) एक ट्विन क्वाड-पैक कैनिस्टर कॉन्फिगरेशन में 40 मिसाइलों को समायोजित कर सकता है, जिसमें प्रत्येक कैनिस्टर में आठ मिसाइलें होती हैं। इसे जहाज पर उपलब्ध जगह के अनुसार विभिन्न लॉन्च सिस्टम में लगाया जा सकता है। यह मिसाइल न केवल लड़ाकू विमानों और समुद्र में स्किमिंग लक्ष्यों के लिए उपयोगी है, बल्कि इसकी 40 किलोमीटर की प्रहार सीमा को बढ़ाकर 80 किलोमीटर तक कर दिया गया है। इसे विध्वंसक, फ्रिगेट, कॉरवेट और विमान वाहक पोतों पर तैनात किया जाएगा।

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