Waqf Board: नए वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान जज ने वक्फ बोर्ड की संपत्ति और उसके अधिकार क्षेत्र को लेकर एक अहम टिप्पणी करते हुए पूछा कि “पूरा देश वक्फ की संपत्ति कैसे हो सकता है?” कोर्ट की यह टिप्पणी उस समय आई जब एक याचिका के दौरान यह मामला उठा कि वक्फ बोर्ड के पास बड़ी संख्या में संपत्तियां दर्ज हैं और कई मामलों में ये संपत्तियां विवादों का कारण बन रही हैं। अदालत ने यह भी संकेत दिए हैं कि वह इस प्रक्रिया की समीक्षा कर सकती है और एक स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर सकती है जिससे भविष्य में ऐसे विवादों से बचा जा सके।
कपिल सिब्बल के सवाल और तर्क
Waqf Board: कपिल सिब्बल ने कोर्ट से पूछा “क्या वक्फ की व्यवस्था अपने आप में अवैध है?” उन्होंने जोर देकर कहा कि वक्फ एक धार्मिक परंपरा है, जिसे भारत के कानून और संविधान ने मान्यता दी है। यह व्यवस्था सिर्फ मुसलमानों की नहीं, बल्कि भारत के विविध धार्मिक समुदायों की परंपराओं का हिस्सा रही है, जिसमें लोग अपनी संपत्तियाँ धार्मिक/सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करते हैं। सिब्बल ने आगे कोर्ट से सवाल किया कि “यदि किसी को वक्फ एक्ट से दिक्कत है तो क्या वे यह कहना चाहते हैं कि यह कानून ही असंवैधानिक है?” उन्होंने तर्क दिया कि वक्फ एक्ट संसद द्वारा पारित कानून है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और समाज सेवा को संरक्षण देता है। इसे सीधे असंवैधानिक ठहराना लाखों लोगों की धार्मिक आस्थाओं पर चोट होगा।
सिब्बल ने कहा कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियाँ राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज होती हैं, और यह प्रक्रिया राज्य सरकारों की देखरेख में होती है। ऐसे में यह कहना कि वक्फ बोर्ड मनमानी करता है, न्यायोचित नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा “अगर किसी को आपत्ति है, तो वह राजस्व कोर्ट या सिविल कोर्ट में चुनौती दे सकता है।” बिना स्पष्ट आरोप लगाए, सिब्बल ने यह संकेत भी दिया कि कुछ याचिकाएं केवल एक समुदाय को निशाना बनाने के उद्देश्य से लायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों का मुद्दा केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील भी है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का हवाला देते हुए कहा कि हर धर्म को अपनी संस्थाएं चलाने और धार्मिक कार्यों के लिए संपत्ति रखने का अधिकार है। उन्होंने कहा “अगर आप वक्फ संपत्तियों को अवैध कहेंगे, तो यह धार्मिक स्वतंत्रता का सीधा उल्लंघन होगा।”
कोर्ट की प्रतिक्रिया
Waqf Board: सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल की बातों को गंभीरता से सुना, लेकिन साथ ही सवाल किया कि क्या संपत्ति को केवल किसी धार्मिक उद्देश्य के लिए घोषित कर देना ही पर्याप्त है? क्या इसके लिए सभी पक्षों को सुना जाना जरूरी नहीं? वक्फ रिकॉर्ड के चलते कई बार निजी संपत्ति पर दावा क्यों किया जाता है? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा: “देश की ज़मीन वक्फ कैसे हो सकती है? यह सिद्धांत क्या कहता है?” कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि वह वक्फ अधिनियम और उसकी प्रक्रिया की न्यायिक समीक्षा कर सकता है। जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि यह समझना जरूरी है कि वक्फ संपत्तियों का निर्धारण कैसे होता है और क्या इसमें जनसुनवाई की व्यवस्था है या नहीं। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जिन लोगों की ज़मीन वक्फ घोषित कर दी जाती है, क्या उन्हें उचित कानूनी प्रक्रिया और नोटिस मिलती है?
सरकार की भूमिका और वक्फ बोर्ड की प्रक्रिया
Waqf Board: वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर अक्सर यह विवाद उठता रहा है कि किस प्रक्रिया से इन्हें चिह्नित किया जाता है। हालांकि वक्फ बोर्ड का कहना होता है कि उनकी संपत्ति केवल उन्हीं मामलों में चिह्नित होती है जहाँ वक्फ दाता ने लिखित रूप से संपत्ति वक्फ की हो। लेकिन यथार्थ में ऐसा हमेशा नहीं होता।
कई बार राजस्व विभाग और वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में अंतर होता है। इससे संबंधित पक्षों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इन संपत्तियों पर कानूनी विवाद वर्षों तक चलते हैं और इसका असर स्थानीय विकास योजनाओं पर भी पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में वक्फ बोर्ड और केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि वक्फ संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया क्या है? क्या इसमें सभी संबंधित पक्षों को सूचना दी जाती है? क्या प्रक्रिया न्यायसंगत और पारदर्शी है?
क्या है मामला?
Waqf Board: याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि भारत में वक्फ बोर्ड द्वारा हजारों एकड़ ज़मीनों को अपनी संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया है, जिन पर कई बार बिना जानकारी के कब्जा कर लिया जाता है या कानूनी रूप से विवाद उत्पन्न कर दिया जाता है। कई बार यह देखा गया है कि सरकारी, निजी या पंचायत की ज़मीनें भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दी जाती हैं। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने स्पष्ट रूप से टिप्पणी कि “क्या ऐसा संभव है कि पूरे देश की जमीन वक्फ हो जाए? यह कैसे तय होता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ है?”
वक्फ संपत्ति क्या होती है?
Waqf Board: वक्फ एक इस्लामी धार्मिक व्यवस्था है जिसके तहत कोई मुसलमान अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए वक्फ कर देता है। ये संपत्तियां स्थायी रूप से वक्फ बोर्ड के अधीन होती हैं और उनका उपयोग मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसा, अनाथालय आदि के लिए किया जाता है। भारत में यह व्यवस्था “वक्फ अधिनियम, 1995” के तहत संचालित होती है। इसके अंतर्गत प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है, जो वक्फ संपत्तियों की देखरेख करता है। पूरे देश में लाखों वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं, जिनकी अनुमानित कीमत लाखों करोड़ों में है।