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Bhadohi Carpet Fair: योगी ने किया अंतरराष्ट्रीय कालीन मेले का उद्घाटन, उद्योग को विशेष दर्जा देने की मांग उठी

Bhadohi Carpet Fair

Bhadohi Carpet Fair: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को ज्ञानपुर में आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला 2025 का उद्घाटन किया। यह आयोजन क्षेत्र के पारंपरिक कालीन उद्योग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किया गया है। मुख्यमंत्री तय कार्यक्रम से करीब 20 मिनट देरी से पहुंचे, लेकिन उनके पहुंचते ही आयोजन स्थल पर मौजूद लोगों में उत्साह देखने को मिला।

सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम

Bhadohi Carpet Fair: सीएम योगी के आगमन को देखते हुए प्रशासन ने अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की थी। अभयनपुर से लेकर मेगा मार्ट तक पूरे मार्ग पर सुरक्षा बलों की तैनाती रही। केवल चिन्हित लोगों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई। कुल 1200 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को पूरे क्षेत्र में तैनात किया गया ताकि कार्यक्रम में किसी तरह की अव्यवस्था न हो।

कालीन उद्योग के विकास पर चर्चा

Bhadohi Carpet Fair: उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री ने मेले में पहुंचे कालीन उद्यमियों और व्यापारियों से मुलाकात की। कई व्यापारियों ने मंच से अपने सुझाव और समस्याएँ साझा कीं। उन्होंने कहा कि कालीन उद्योग केवल व्यवसाय नहीं बल्कि एक कला का प्रतीक है। यहाँ के कारीगरों में अपार प्रतिभा है, जिन्हें उचित प्रशिक्षण और प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
उद्यमियों ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि कालीन उद्योग को विशेष दर्जा (Special Industry Status) दिया जाए, ताकि इस क्षेत्र को सरकारी योजनाओं और आर्थिक सहायता का सीधा लाभ मिल सके।

सीएम ने की स्टालों की सैर

Bhadohi Carpet Fair: उद्घाटन समारोह के बाद मुख्यमंत्री ने मेला परिसर का भ्रमण किया। उन्होंने कई स्टालों पर रुककर वहां प्रदर्शित उत्पादों की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने निर्माताओं से उनके उत्पादों के निर्माण प्रक्रिया और बाज़ार की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकार हर उस प्रयास को बढ़ावा देगी, जो स्थानीय हस्तशिल्प और कारीगरी को रोजगार से जोड़ता है।

स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

Bhadohi Carpet Fair: मेले में बड़ी संख्या में व्यापारिक प्रतिनिधि, खरीदार और स्थानीय कारीगर शामिल हुए। आयोजकों का मानना है कि यह आयोजन न केवल कालीन उद्योग को नई पहचान देगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा। इससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पारंपरिक कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।

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