DHARMENDRA: फिल्म इंडस्ट्री के लिए सोमवार का दिन बेहद क्षतिपूर्ण साबित हुआ। जब फिल्म जगत के हीमैन धर्मेंद्र इस दुनिया से चले गए। उसके बाद सोशल मीडिया पर हड़कंप सा मच गया और दिग्गज कलाकार धर्मेंद्र को लेकर श्रद्धांजलियों की बाढ़ सी उमड़ पड़ी। लेकिन रात करीब 2 बजकर 25 मिनट पर आए एक भावुक पोस्ट ने सभी श्रद्धांजलियों पर भारी पड़ गयी। क्योंकि उसमें एक दोस्त की पीड़ा, एक साथी का दर्द और एक युग के टूटने की टीस साफ महसूस की जा सकती थी। यह पोस्ट उस दिग्गज अभिनेता का था, जिन्हें लोग कभी ‘जय’ के रूप में देखते थे और धर्मेंद्र को ‘वीरू’ के रूप में।
देर रात जय ने लिखी दिल दहला देने पोस्ट
“… another valiant Giant has left us… leaving behind a silence with an unbearable sound…” इन शब्दों ने साफ कर दिया कि स्क्रीन पर दिखाई देने वाली जय–वीरू की दोस्ती असल जिंदगी में भी उतनी ही गहरी थी। पोस्ट में जय यही अमिताभ बच्चन ने धर्मेंद्र को एक “महान शख्सियत”, “सादगी और बड़े दिल का प्रतीक” बताते हुए लिखा कि उनका व्यक्तित्व केवल उनकी मजबूत मौजूदगी तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके दिल की विशालता और उनकी प्यारी सरलता में बसता था।
DHARMENDRA: उन्होंने यह भी लिखा कि धर्मेंद्र अपने साथ पंजाब के गाँव की मिट्टी की खुशबू लेकर आए थे और पूरी उम्र उसी सादगी और ज़मीन से जुड़े स्वभाव के साथ जिए। हर दशक में इंडस्ट्री बदलती रही, चेहरे बदलते रहे, तकनीक बदली—लेकिन धर्मेंद्र नहीं बदले। उनकी मुस्कुराहट, उनका charm, उनकी warmth हर किसी को अपनेपन से भर देती थी।
पोस्ट में आगे लिखा गया “.. the air about us swings vacant .. a vacuum that shall ever remain vacuus ..” इन शब्दों ने इंडस्ट्री में बने उस गहरे खालीपन को बयां कर दिया, जिसे कोई भी कभी भर नहीं पाएगा। इस पोस्ट के सामने आते ही सोशल मीडिया पर भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रशंसकों ने जय–वीरू की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि यह सिर्फ एक जोड़ी नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की दोस्ती का सबसे खूबसूरत प्रतीक थी।
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… another valiant Giant has left us .. left the arena .. leaving behind a silence with an unbearable sound ..Dharam ji .. 🙏 🙏🙏
.. the epitome of greatness, ever linked not only for his renowned physical presence, but for the largeness of his heart , and its…
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) November 24, 2025
रात के सन्नाटे में लिखा गया यह संदेश याद दिलाता है कि पर्दे की चमक के पीछे कुछ रिश्ते इतने गहरे होते हैं कि उनका टूटना सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, एक पूरी पीढ़ी को हिला जाता है।
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