Himanta vishwa sharma: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने घोषणा की कि सोमवार को लंदन में ब्रिटिश संग्रहालय के साथ एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इससे ऋण समझौते के तहत पवित्र वृंदावनी वस्त्र को असम में वापस लाया जा सकेगा।
इस वृंदावनी वस्त्र का बेहद खास सांस्कृतिक महत्व है। इसे लेकर असम के सीएम हिमंता ने रविवार रात को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “कल असम और भारत के लिए एक बड़ा दिन है। हम ब्रिटिश संग्रहालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर रहे हैं ताकि पवित्र वृंदावनी वस्त्र को ऋण व्यवस्था के तहत स्वदेश वापस लाया जा सके। विकास और विरासत हमारे शासन के एजेंडे के स्तंभ बने रहेंगे।”
उच्च-स्तरीय यात्रा पर हिमंता पहुंचे है लंदन
बता दें, सीएम हिमंता उच्च-स्तरीय यात्रा पर लंदन पहुंचे हैं, जिसका उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से बहुमूल्य वस्त्र को स्वदेश वापस लाने की शर्तों पर बातचीत करना है। ब्रिटेन की यात्रा को लेकर एक दूसरे पोस्ट में सीएम सरमा ने स्थानीय भारतीय समुदाय के साथ अपने जुड़ाव और शहरी विकास पर अपने विचारों को साझा किया। उन्होंने लिखा, “लंदन में अपने पहले दिन मैंने शहर के तट का दौरा किया। हम गुवाहाटी के रिवरफ्रंट का कायाकल्प कर रहे हैं और कुछ वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने की प्रक्रिया में हैं। इस बीच, मैंने अपने मेहनती प्रवासी समुदाय से भी मुलाकात की और उनसे बातचीत की।”
Himanta vishwa sharma: यात्रा में वृन्दावनी वस्त्रों को दी प्राथमिकता
15 नवंबर, शनिवार को सीएम हिमंता लंदन के लिए रवाना हुए। उन्होंने अपनी इस यात्रा की शुरुआत वृंदावनी वस्त्र की वापसी सुनिश्चित करने के प्राथमिक एजेंडे के साथ की। यह 16वीं शताब्दी का एक अमूल्य रेशमी वस्त्र है जिसे नव-वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के मार्गदर्शन में बनाया गया था।
मुख्यमंत्री सरमा के अनुसार, वर्तमान में ब्रिटिश संग्रहालय में संरक्षित इस कलाकृति को 2027 में असम में प्रदर्शित किए जाने की उम्मीद है। वहीं दिल्ली से लंदन के लिए रवाना होने से पहले, सीएम सरमा ने एक वीडियो संदेश जारी किया जिसमें इस मिशन के महत्व और स्वदेश वापसी के लिए आवश्यक तैयारियों की जानकारी दी।
2027 में वृंदावनी वस्त्र आ सकते है भारत
उन्होंने कहा, ” हम 2027 में वृंदावनी वस्त्र को असम लाने के लिए लंदन संग्रहालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे। अगले दो वर्षों तक, हमें इसे अत्यंत सावधानी से संरक्षित करने के लिए एक संग्रहालय बनाना होगा। हमारी सरकार ने इस उद्देश्य के लिए गुवाहाटी के खानापाड़ा क्षेत्र में सांस्कृतिक मामलों के विभाग को भूमि आवंटित की है।”
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